- चांद की सतह पर नियत जगह से 500 मीटर दूर गिरा था विक्रम लैंडर
- चांद की सतह पर सॉफ्ट की जगह हुई थी हार्ड लैंडिंग
- चंद्रयान-2 के उड़ान की पल पल जानकारी ले रहे थे पीएम नरेंद्र मोदी, इसरो सेंटर में थे मौजूद
नई दिल्ली। अगले साल यानि 2021 के पहले 6 महीनों में चंद्रयान -3 को लांच किया जाएगाय़ इसके बारे में कहा कि चांद पर पहुंचने के इस अभियान में थोड़ी देरी हो सकती है। चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने की कोशिश के दौरान इसका संपर्क जमीनी केंद्र से टूट गया था।देश- दुनिया में कई चेहरों पर मायूसी छा गई थी। यह भारत के वैज्ञानिकों का साहसी और महत्वाकांक्षी मिशन था जिसे ISRO ने बेहद बारीकी और कुशलता से अंजाम देने की कोशिश की।
इतिहास रचने से चूक गया था भारत
लैंडर और रोवर से संपर्क टूटने के कारण मिशन अपने सभी उद्देश्यों को तो हासिल नहीं कर सका लेकिन फिर भी इसने भारत के अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने का काम किया।ISRO ने बताया था कि मिशन की 90 से 95 फीसदी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस दौरान कई नई तकनीकों के सफल परीक्षण के साथ उनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुईं और इस मिशन का एक अहम हिस्सा- ऑर्बिटर अब भी सामान्य ढंग से काम कर रहा है। यह चांद को और ज्यादा समझने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा। यहां जानें ISRO ने चंद्रयान 2 मिशन के दौरान क्या उपलब्धियां हासिल कीं।
60 फीसद सॉफ्ट लैंडिंग अब तक हुई है कामयाब
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तथ्यों के मुताबिक पिछले छह दशक में शुरू किए गए चंद्र मिशन में सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत रहा है। नासा के मुताबिक इस दौरान 109 चंद्र मिशन शुरू किए गए, जिसमें 61 सफल हुए और 48 असफल रहे। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की तहत पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को उतराने का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका।
अगर सॉफ्ट लैंडिंग होती कामयाब तो भारत...
सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देती। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाता। इसरो के डॉयरेक्टर के सिवन ने हाल में कहा था कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है। गौरतलब है कि ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था। इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है। यह बात सच है कि भारत कुछ कदमों पहले ही सफलता के उस स्वाद को नहीं चख सका। लेकिन मजबूत इरादे के साथ भारत एक बार फिर नई उड़ान भरने के लिए तैयार है।