नई दिल्ली : सीमा पर चीन और पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के मद्देनजर भारत अपनी सामरिक क्षमता में लगातार इजाफा कर रहा है। खासकर, भारतीय वायु सेना (IAF) में नए लड़ाकू विमानों को शामिल करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। स्वदेश निर्मित 83 तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद की सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद भारत रूस से और मिग-29 एवं सुखोई 30 एमकेआई खरीदने जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत आने वाले दिनों में रूस से 21 मिग-29 और 12 सुखोई-30 एमकेआई फाइटर प्लेन खरीदेगा।
रूस को शीघ्र जाएगा आरएफपी
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 21 मिग-29 विमानों के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) शीघ्र ही रूस की कंपनी रोकोबोर्नोएक्पोर्ट को जारी किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार रूस से खरीदे जाने वाले इस मिग-29 की कीमत अपेक्षाकृत कम है। भारतीय वायु सेना में इन विमानों के शामिल हो जाने से इस तरह के विमानों की संख्या बढ़कर 59 हो जाएगी। जबकि 12 सुखोई के आने से इस तरह के लड़ाकू विमानों की संख्या 272 हो जाएगी। भारत 272 सुखोई में से अब तक 268 को अपने बड़े में शामिल कर चुका है।
IAF को चाहिए 42 स्क्वॉड्रन
विगत सालों में हुए हादसों में कम से कम 9 सुखोई दुर्गटनाग्रस्त हुए हैं। 83 नए तेजस वायु सेना में जनवरी 2024 से दिसंबर 2028 के बीच शामिल होंगे। इनके अलावा मिग-29 और सुखोई के शामिल होने से वायु सेना को अपनी स्क्वॉड्रन को बरकरार रखने में आसानी होगी। वायु सेना के बेड़े में शामिल मिग-21, मिग-23 और मिग-27 पुराने पड़ गए हैं और ये धीरे-धीरे सेवा से बाहर हो रहे हैं। आने वाले समय में आईएएफ के पास लड़ाकू विमानों की करीब 30 स्क्वॉड्रन (एक स्क्वॉड्रन में 16 से 18 विमान) रह जाएगी। जबकि चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ एक साथ निपटने के लिए आईएएफ के पास लड़ाकू विमानों की कम से कम 42 स्क्वॉड्रन होनी चाहिए। बताया जाता है कि मिग-21 बाइसंस के चार स्क्वॉड्रन 2024 तक सेवा से बाहर हो जाएंगे।
मिग विमान रूस से और जगुआर ब्रिटेन से आए
वायु सेना में लड़ाकू विमानों की कमी पूरी करने के लिए भारत सरकार ने अपनी रक्षा खरीद प्रक्रिया को पहले से ज्यादा आसान किया है। इसी क्रम में उसने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया है। राफेल दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों में शामिल है। फ्रांस से भारत को राफेल मिलने शुरू भी हो गए हैं। अब तक भारत सरकार मुख्य रूप से रूस और ब्रिटेन से लड़ाकू विमान खरीदते आई है। सुखोई एमकेआई को 1990 के अंतिम दशक और मिग-29 को 1980 की शुरुआत में रूस से खरीदा गया। ब्रिटेन से जगुआर भी 1980 के दशक की शुरुआत में हासिल किए गए।
बीच-बीच में उन्नत हुए हैं लड़ाकू विमान
भारत के पास इस समय लड़ाकू विमानों की करीब 33 स्क्वॉड्रन है। प्रत्येक स्क्वॉड्रन में 16 लड़ाकू विमान और दो ट्रेनर विमान शामिल होते हैं। कुल मिलाकर भारत के पास 500 से ज्यादा फाइटर प्लेन हैं। हालांकि, चीन और पाकिस्तान दोनों की चुनौती से एक साथ निपटने के लिए आईएएफ को 42 स्क्वॉड्रन रखने की मंजूरी मिली हुई है। आईएएफ के बेड़े में अभी मिग-21 बीआईएस, जगुआर, मिराज 2000, मिग-29, सुखोई एमकेआई और स्वदेश निर्मित तेजस के स्क्वॉड्रन शामिल हैं। ब्रिटिश हॉक को साल 2004 में शामिल किया गया। मिग-21 बीआईएस, जगुआर, मिराज 2000 और मिग-29 बीच-बीच में उन्नत हुए हैं।
पाक के पास 450, चीन के पास 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान
पाकिस्तान और चीन के लड़ाकू विमानों की संख्या की अगर बात करें तो पड़ोसी देश पाक के पास करीब 450 लड़ाकू विमान हैं। पाकिस्तान के पास मौजूदा समय की तकनीक वाले 18 एफ-16 फाइटर प्लेन हैं। पाकिस्तानी वायु सेना के बेड़े के ज्यादातर लड़ाकू विमानों की तकनीक पुरानी हो गई है। चीन के पास दो हजार से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं। चीन के साथ दिक्कत है कि वह अपनी वायु सेना के सभी लड़ाकू विमानों को भारत के खिलाफ नहीं लगा सकता। उसे अपनी वायु सुरक्षा के लिए अपने लड़ाकू विमानों को अलग-अलग इलाकों में तैनात करनी होती है।
राफेल ने भारत की क्षमता बढ़ाई
भारत में राफेल लड़ाकू विमानों के आ जाने से वायु सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो गया है। इससे चीन और पाकिस्तान की वायु सेना पर बढ़त बनाने में मदद मिली है। आज के समय में केवल लड़ाकू विमानों की संख्या ज्यादा रखना बड़ी बात नहीं है। बल्कि ये विमान आधुनिक एवं उन्नत तकनीक पर आधारित और स्टील्थ फीचर्स में युक्त एवं बेजोड़ होने चाहिए।