- दिल्ली से मध्य प्रदेश के दमोह जा रही महिला को रास्ते में हुआ लेबर पेन
- दिल्ली में पैथॉलजी विभाग में काम करने वाले सुनील ने कराई महिला की डिलीवरी
- जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित, सूझबूझ दिखाने के लिए सुनील की हो रही प्रशंसा
नई दिल्ली : साल 2009 की फिल्म 'थ्री इडियट्स' में एक सीन था जिसमें एक प्रेग्नेंट महिला के अस्पताल न पहुंचा पाने पर रैंचो (आमिर खान) उसकी डिलीवरी कराता है। कुछ ऐसा ही नजारा एक चलती ट्रेन में सामने आया है। दिल्ली के एक अस्पताल में लैब टेक्निशियन का काम करने वाले सुनील प्रजापति ने रैंचो के अंदाज में प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिला की डिलीवरी चलती ट्रेन में कराई। हैरान करने वाली बात है कि सुनील दिव्यांग हैं। उनके इस सूझबूझ एवं साहसिक कार्य की प्रशंसा सब लोग कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश संपर्कक्रांति ट्रेन में सवार थी प्रेग्नेंट महिला
शनिवार रात एक प्रेग्नेंट महिला जबलपुर जाने वाली मध्य प्रदेश संपर्कक्रांति कोविड-19 स्पेशल एक्प्रेस में यात्रा कर रही थी। इसी दौरान उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। महिला की डिलीवरी कराने के लिए सुनील ने जो रास्ता चुना, वह हैरान करने वाला लेकिन साहसिक था। सुनील ने एक शॉल के धागे, सेविंग किट के ब्लेड और आंख के सर्जन के साथ वीडियो कॉल के जरिए महिला की डिलीवरी सफलता पूर्वक कराई। महिला को इससे पहले तीन बार मिसकैरेज हो चुका था। यह ट्रेन दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से रवाना हुई थी और महिला ट्रेन के बी 3 कोच में सवार थी। ट्रेन के मथुरा पहुंचने से पहले महिला ने ट्रेन में बच्चे को जन्म दिया।
दिल्ली में पैथॉलजी विभाग में काम करते हैं सुनील
बच्चे के जन्म के बाद महिला कांस्टेबल सहित रेवले सुरक्षा टीम नवजात और उसकी मां को लेकर मथुरा जिला अस्पताल पहुंची। अब इस कार्य के लिए अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी सुनील की प्रशंसा कर रहे हैं। प्रजापित चांदनी चौक में नॉर्दन रेलेव दिल्ली डिविजनल अस्पताल के पैथॉलजी विभाग में काम करते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वह अपनी शादी के लिए अपने घर (सागर, मध्य प्रदेश) जा रहे थे।
'महिला दर्द की वजह से रो रही थी'
टीओआई के साथ बातचीत में सुनील ने कहा, 'ट्रेन ने फरीदाबाद क्रास करने पर मैं अपना शाम का खाना खाने की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान मैंने पाया कि कोच के मिडिल बर्थ पर सो रही एक महिला दर्द की वजह से रो रही थी। महिला अपने भाई एवं बेटी के साथ थी। वे दमोह जा रहे थे। बातचीत में पता चला कि महिला का नाम किरन (30) है और उसकी डिलीवरी का डेट 20 जनवरी है। इसके लिए वह अपनी ससुराल जा रही थी।'
सुनील ने अपनी वरिष्ठ डॉक्टर को फोन किया
सुनील ने आगे बताया, 'मैंने महिला की मदद करने और किसी स्टेशन पर उसे चिकित्सा सहायता देने की बात कही लेकिन महिला यह तय नहीं कर पा रही थी कि यह दर्द लेबर पेन का था या पेट दर्द। कोच में कोई और महिला यात्री नहीं थी। इसलिए मैंने किसी तरह की जांच करने से परहेज किया और मैंने इस बारे में अपनी वरिष्ठ डॉक्टर सुपर्णा सेन से संपर्क किया। सेन ने आगरा और ग्वालियर स्टेशन को मेडिकल स्टॉफ के साथ अलर्ट पर रहने के लिए कहा। इसके आधे घंटे बाद किरन दर्द से एक बार और चीखी। इस बार उसका चादर ब्लड से भीग गया था। इससे लगा कि उसका प्रसव होने वाला है। मैंने इस बारे में टीटीई को तत्काल सूचित किया और उससे फर्स्ट एड किट की व्यवस्था करने को कहा। इसके बाद मैंने डॉक्टर सेन को वीडियो कॉल पर लिया और उनके निर्देशों का पालन किया।'
एक यात्री से बिना इस्तेमाल ब्लेड मिला
प्रजापति ने कहा, 'एक यात्री के पास से बिना इस्तेमाल किया हुआ ब्लेड मिल गया। इस ब्लेड की मदद से मैंने बच्चे का नाल काटा।' सुनील ने सागर यूनिवर्सिटी से माइक्रोबॉयलोजी में बीएससी किया है। उनके पास पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की मास्टर डिग्री भी है। वह सिविल सेवा में जाना चाहते थे। सुनील का चयन तीन बार मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के इंटरव्यू के लिए हुआ लेकिन वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना सके।
यात्रियों ने मथुरा स्टेशन पर अलॉर्म चेन खींची
उन्होंने कहा, 'महिला के प्रसव के दौरान मेरे हृदय की धड़कन तेज थी। मैंने एक महिला को उसके प्रसव के दौरान मदद की और एक स्वस्थ नवजात मेरे हाथों में था। एक खुशी और डर का एक मिश्रित भाव मेरे चेहरे पर था। हम इस तरह की डिलीवर केवल फिल्मों में देखते आए हैं। डिलीवरी के बाद मैंने मथुरा में चिकित्सा की व्यवस्था कराई। चांकि ट्रेन दिल्ली और ग्वालियर के बीच कहीं रुकती नहीं है, ऐसे में मैंने साथी यात्रियों से अलार्म चेन मथुरा जंक्शन पर खींचने के लिए कहा था। इसके बाद महिला कांस्टेबल ज्योति यादव आरपीएफ की टीम के साथ वहां मौजूद थीं। यहां से किरन को मथुरा जिला अस्पताल ले जाया गया।' सुनील छह भाई-बहन हैं और उनके पिता किसान हैं।