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चुशूल में एक बार फिर बैठेंगे भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर, आठवें दौर की बातचीत पर टिकी नजर

Updated Nov 06, 2020 | 06:13 IST

Ladakh Standoff: लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए शुक्रवार को दोनों देशों के कोर कमांडरों की बैठक भारतीय पक्ष की तरफ यानी चुशूल में होने जा रही है।

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चुशूल में भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच होगी आठवें दौर की बातचीत
मुख्य बातें
  • भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच सात दौर की हो चुकी है बातचीत
  • लद्दाख में सीमा पर शांति स्थापित करने पर बल
  • भारत की कोशिश की अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल करे चीन

नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में तनाव को कम करने के लिये शुक्रवार को भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीत आठवें स्तर की बातचीत होगी। यह बैठक इस दफा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र चुशूल में होगी। इस बैठक का मकसद यह है कि इससे पहले जो बातचीत हुई है उसे जमीन पर कितना अमल में लाया गया है। इसके साथ ही दोनों सेनाएं किस तरह से अप्रैल 2020 के पहले की तरह अपने अपने बैरकों में लौट जाएं। इसके अलावा इस बैठक का एक और मकसद है कि इस तरह के मैकेनिज्म को विकसित किया जाए ताकि विवादित जगहों को लेकर संघर्ष की स्थिति ना बने।

दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर तैनात
बता दें कि चीन की किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के लगभग 50,000 सैनिक दुर्गम ऊंचाई वाले पहाड़ी पोस्ट पर तैनात हैं।पिछले 6 महीने से चीन के साथ चल रहे गतिरोध का अंतिम नतीजा नहीं निकला है। दरअसल चीन, वार्ता के टेबल पर कहता कुछ और है लेकिन जमीन  पर जब उसे उतारने की बारी आती है तो आनाकानी शुरू कर देता है। 

चीन से यथास्थिति बहाल करने पर जोर
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि  चीनी सेना ने भी मिरर डिप्लायमेंट कर रखा है इसका अर्थ यह है कि जितने भारतीय सैनिक हैं करीब उतने ही चीनी सैनिक भी हैं। भारत का साफ मानना है कि तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने  कहा था कि भारत और चीन के बीच गंभीर तनाव है और सीमा प्रबंधन को लेकर दोनों पक्षों द्वारा समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए। 

फिलहाल एलएसी पर बनी हुई है शांति
पिछले दौर की बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा था कि सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता तथा संपर्क बना कर तनाव कम करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। 6वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक न भेजने, जमीन पर स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने से बचने और स्थिति को बिगाड़ने वाली कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ कदमों की घोषणा की थी।

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