नई दिल्ली: 2 प्लस 2 वार्ता के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्रा मार्क एस्पर के साथ भारत दौरे पर आए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो नें TIMES NOW के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिव शंकर से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों के अलावा चीन से साथ जारी भारत की तनातनी पर सीधे सवालों का जवाब दिया। इंटरव्यू में पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका जो भी सहायता प्रदान करने में सक्षम है वो वह भारत को देगा। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर चीन को रोक सकते हैं।
जब उनसे सवाल किया गया कि अगर भारत और चीन के बीच 1962 जैसे स्थिति बनती है तो क्या अमेरिका भारत का समर्थन करेगा? पोम्पियो ने जवाब दिया, 'आप उन चीजों को देख सकते हैं जो हम कर रहे हैं। हमने चीन के लिए संयुक्त राज्य में निवेश करना अधिक कठिन बना दिया है। हम सिर्फ निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार चाहते हैं। हमने ऐसी सेना बनाई है जैसी इतिहास में कभी नहीं रही। हमारी कूटनीति शिफ्ट हो गई है। हम पूरी दुनिया में सभी स्वतंत्रता प्रेमी देशों की सहायता के लिए तैयार हैं।'
पोम्पियो ने कहा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मिलकर न केवल भारत या हिंद प्रशांत क्षेत्र के लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए मददगार हो सकते हैं।' उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत का भागीदार बनने का इरादा रखता है क्योंकि दुनिया में लड़ाई स्वतंत्रता और अधिनायकवाद के बीच है।
'पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म होना सबके लिए अच्छा'
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका उन चीजों को करने के लिए तैयार है जो भारतीय लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद कर सकता है और मुझे विश्वास है कि भारत दुनियाभर में हमारे लिए भी ऐसा ही करेगा। पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध पर बोलते हुए पोम्पियो ने सेनाओं के पीछे हटने की उम्मीद जताई और कहा कि वॉशिंगटन ने चीन को पीछे हटने के लिए प्रोत्साहित किया है। ये चीन ,भारत और दुनिया के लिए अच्छा होगा। हम गतिरोध नहीं चाहते, हम हर जगह शांति चाहते हैं।
'भारत के साथ खड़ा है अमेरिका'
इससे पहले टू प्लस टू रणनीतिक बातचीत के तीसरे संस्करण के बाद पोम्पियो ने कहा कि अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के भारत के प्रयासों में अमेरिका उसके साथ खड़ा है। चीन की कटु आलोचना करते हुए पोम्पिओ ने चीनी सेना के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष में भारतीय सैन्य कर्मियों के मारे जाने का उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका और भारत न सिर्फ सीसीपी द्वारा उत्पन्न बल्कि सभी तरह के खतरों से निपटने के लिये सहयोग बढ़ाने के लिये कदम उठा रहे हैं। भारत के लोग जब अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर खतरे का सामना करते हैं तो अमेरिका उनके साथ खड़ा होगा।