- आर्मी ने शुरू कर दी है यह प्रक्रिया
- 'कुछ प्रथाओं की रिव्यू की जरूरत है'
- लिस्ट में "थिएटर/युद्ध सम्मान" भी हैं
भारतीय सेना (Indian Army) में अब ब्रिटिश काल के चिह्न नहीं नजर आएंगे। सेना इन्हें पूरी तरह से हटाएगी, जिसके बाद यूनिफॉर्म और रेजिमेंट्स में बदलाव देखने को मिलेगा। दरअसल, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के नेतृत्व में भारतीय सेना ने औपनिवेशिक प्रथाओं के साथ यूनिट्स और रेजिमेंट्स के नामों को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सेना के एक दस्तावेज के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में बताया गया- विरासत में मिलीं कुछ प्रथाओं की रिव्यू की जरूरत है। इनमें औपनिवेशिक और पूर्व-औपनिवेशिक युग से चले आ रहे रीति-रिवाज और परंपरा, सेना की वर्दी और परिधान, नियम, कानून, नियम, नीतियां, इकाई स्थापना, औपनिवेशिक अतीत के संस्थान, कुछ इकाइयों के अंग्रेजी नाम, इमारतों, प्रतिष्ठानों, सड़कों, पार्कों, औचिनलेक या किचनर हाउस जैसी संस्था का नाम बदलना आदि शामिल है।
सेना मुख्यालय के अफसर ने एजेंसी को आगे बताया, "ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत को दूर करते हुए पुरातन और अप्रभावी प्रथाओं से दूर जाना जरूरी है।"
उन्होंने कहा- भारतीय सेना को भी इन विरासत प्रथाओं की रिव्यू करने की जरूरत है, ताकि प्रधानमंत्री की ओर से लोगों से पालन करने के लिए पांच प्रतिज्ञाओं के अनुरूप राष्ट्रीय भावना के साथ संरेखित किया जा सके। रिव्यू की जा रही चीजों की लिस्ट में "आजादी के पहले के थिएटर/युद्ध सम्मान" शामिल है।
ऐसी प्रैक्टिसेज़ में मानद आयोगों का अनुदान और बीटिंग रिट्रीट और रेजिमेंट सिस्टम जैसे समारोह भी हैं। यूनिट में नाम और प्रतीक चिन्ह, औपनिवेशिक काल के क्रेस्ट के साथ अधिकारियों की मेस प्रक्रियाओं और परंपराओं और रीति-रिवाजों की भी समीक्षा की जाएगी।