- सलामी स्लाइस सिस्टम, ग्रे जोन वॉरफेयर का हिस्सा
- चीन सक्रिय रूप से इस नीति पर करता है काम
- सेना प्रमुख ने और पेशेवर नजरिए पर दिया बल
पड़ोसी देशों से भारत हमेशा शांतिपूर्ण रिश्ते की वकालत करता रहा है। लेकिन अनुभव खट्टे रहे हैं। 1962, 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई कुछ बानगी है। इन सभी लड़ाइयों में भारतीय फौज ने साबित कर दिया कि संसाधन भले ही सीमित हों लेकिन संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाता है दुनिया उससे सीख ले सकती है। हाल के कुछ वर्षों में चीन की तरफ से जिस तरह से उकसाने वाली दादागीरी वाली कार्रवाई हुई है उसका सैन्य शक्ति, राजनीतिक शक्ति और कूटनीतिक तरीके से जवाब दिया गया है। लेकिन सेना प्रमुख मनोज पांडे का कहना है कि हमें ग्रे जोन वारफेयर को लेकर और सतर्क रहने के साथ साथ तैयारी भी करनी होगी। उन्होंने कहा कि चीन अपनी सलामी स्लाइस सिस्टम के तहत इसका इस्तेमाल करता है।
यह होता है ग्रे जोन वॉरफेयर
ग्रे जोन वॉरफेयर में सैन्य कार्रवाइयों से हटकर दुश्मन देश को अलग-अलग मोर्चों पर कमजोर करने की कोशिश की जाती है। यह अभियान युद्ध काल में तो चलाया ही जाता है शांति के समय में अलग अलग स्वरूप में सामने आते रहते हैं। या यूं कहें कि चलाया जाता है। चीन की 'सलामी स्लाइसिंग' पॉलिसी इसी ग्रे जोन वॉरफेयर का एक हिस्सा है। जिसका इस्तेमाल चीन करता रहता है। चीन अपने पड़ोसी देशों को इस तरह की नीति के जरिए उलझा कर रखता है।
ग्रे जो युद्ध को व्यापक रूप से शांति और युद्ध के बीच शोषण के रूप में परिभाषित किया गया है। एक सीमा से नीचे रहने वाले बलपूर्वक कार्यों के उपयोग के माध्यम से यथास्थिति को बदलने के लिए होता है, ज्यादातर मामलों में, एक पारंपरिक सैन्य प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है। 'ग्रे ज़ोन युद्ध' जैसे शब्द युद्धक्षेत्र-केंद्रित अवधारणा के रूप में उभरे थे। बाद में इन शब्दों को नए तत्वों को शामिल करते हुए सुधार किया गया है। अस्पष्ट चाल और गुप्त तौर पर इसे दुश्मन देश इस्तेमाल करता है। इसमें साइबर हमले, आर्थिक जबरदस्ती, दुष्प्रचार अभियान, चुनाव में दखल, और प्रवासियों का हथियार के तौर पर अपने से अलग विचार रखने वाले देश के खिलाफ प्रयोग होता है।
सेना प्रमुख को क्यों है चिंता
सेना प्रमुख मनोज पांडे का कहना है कि आमने सामने की लड़ाई में हम लड़ाई के दिन को सीमित कर सकते हैं। लेकिन परोक्ष या जब ग्रे वॉरफेयर जोन के तहत लड़ाई लड़ी जाती है तो उसका दायरा असीमित होता है। इस तरह की लड़ाई में दुश्मन देश हमेशा किसी ना किसी मोर्चे पर लड़ाई लड़ते रहते हैं। इसका अर्थ यह है कि लड़ाई किसी सीमा या सीमाई इलाकों में ही नहीं लड़ी जाती है बल्कि लड़ाई का स्वरूप अलग अलग तरह से बदलता रहता है। ऐसे में हमें देखना होगा कि किस तरह से हम अपने दुश्मन के मकसद को समझ कर उसका उचित तौर पर जवाब दे पाते हैं।