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रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- किसी भी जिले से 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेन चलाने को तैयार, बताया क्या करना होगा

Updated May 16, 2020 | 21:13 IST

Shramik Special Train: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए भारतीय रेल किसी भी जिले से 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेन चलाने को तैयार है।

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श्रमिक स्पेशल ट्रेन

नई दिल्ली: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की है कि भारतीय रेल किसी भी जिले से 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेन चलाने को तैयार है। जिलाधिकारी फंसे हुए प्रवासी कामगारों की सूची और उनके गंतव्य की जानकारी भारतीय रेल के राज्य नोडल अधिकारी को सौंपें। पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा, 'प्रवासी मजदूरों को बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे देश के किसी भी जिले से 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेन चलाने को तैयार है। इसके लिए जिला कलेक्टर को फंसे हुए श्रमिकों के नाम व उनके गंतव्य स्टेशन की लिस्ट तैयार कर राज्य के नोडल ऑफिसर के माध्यम से रेलवे को आवेदन करना होगा।' 

रेल मंत्री का ये ऐलान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जहां प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने-अपने गृह राज्यों के लिए चल रहे हैं। इससे लगता है कि जो ट्रेनें चलाई गई हैं, वो काफी नहीं हैं। 

इससे पहले रेल मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि 15 मई की मध्यरात्रि तक 14 लाख से अधिक लोगों को उनके गृह राज्यों में वापस भेज दिया गया है। भारतीय रेलवे ने देशभर में 1074 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। पिछले 3 दिनों के दौरान प्रति दिन 2 लाख से अधिक व्यक्तियों को परिवहन किया गया है। 

अब तक अपने गंतव्यों तक पहुंची गाड़ियों में से अधिकतम 387 ट्रेनें उत्तर प्रदेश गई हैं। उत्तर प्रदेश ने 526 ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है, उसके बाद बिहार ने 269 और मध्य प्रदेश ने 81 ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है। झारखंड ने 50, ओडिशा ने 52, राजस्थान ने 23 और पश्चिम बंगाल ने नौ ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है। गोयल ने पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से अधिक ट्रेनों को मंजूरी देने की अपील की थी। 

रेलवे ने कहा कि ट्रेनों में सवार होने से पहले यात्रियों की समुचित जांच की जा रही है। यात्रा के दौरान यात्रियों को नि:शुल्क भोजन और पानी दिया जाता है। इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 1,200 की जगह अब 1,700 यात्रियों को ले जाया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके।

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