- प्रधानमंत्री मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की
- आर्थिक पैकेज की यह रकम देश की जीडीपी का करीब 10% है
- इस मामले में भारत चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को उबारने और प्रभावित वर्गों-क्षेत्रों को राहत देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इसकी घोषणा की। इसमें सरकार की ओर से हाल में दी गई राहत और रिजर्व बैंक की घोषणाएं भी शामिल हैं। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब 10 फीसदी हिस्सा है। कहा जा रहा है कि इसके जरिए देश के विभिन्न वर्गों और आर्थिक कड़ियों को जोड़ने में बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने पैकेज को लेकर क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब-करीब 10 प्रतिशत है।' सरकार के इस विशेष आर्थिक पैकेज में पहले घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज भी शामिल है। इस पैकेज के तहत गरीबों को मुफ्त राशन और नकद सहायता का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा रिजर्व बैंक की ने भी 6.5 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया था।
जापान ने जीडीपी का सबसे अधिक पैकेज दिया
20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा के बाद भारत दुनिया के चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है। भारत अब जापान, अमेरिका, स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों की कतार में खड़ा हो गया है।दरअसल, दुनिया में अपनी जीडीपी के सबसे बड़े आर्थिक पैकेज के घोषणा जापान ने की है। कोरोना महामारी को देखते हुए जापान ने अपनी जीडीपी के 21.1 फीसदी हिस्से के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। वहीं, दूसरे नंबर पर अमेरिका हैं जिसने अपनी जीडीपी के 13 फीसदी हिस्से के बराबर आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।
भारत दुनिया में इस स्थान पर
जापान और अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर स्वीडन है। स्वीडन ने अपनी जीडीपी के 12 फीसदी हिस्से के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। चौथे नंबर पर जर्मनी है जिसने अपनी जीडीपी के 10.7 फीसदी हिस्से के आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रखी है। वहीं, भारत दुनिया में अपनी जीडीपी का सबसे अधिक आर्थिक पैकेज देने के मामले में पांचवें स्थान पर है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी के मद्देनजर भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद के लिए इस पैकेज की घोषणा की है। उन्होंन साथ ही स्थानीय कारोबारों को प्रोत्साहित करने की वकालत की।
पैकेज से उद्योग जगत की बंधी आस
उद्योग जगत को आर्थिक पैकेज से काफी उम्मीदे हैं। उद्योग जगत ने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा समय की जरूरत थी। उद्योग मंडलों का कहना है कि इससे कोविड-19 महामारी और उसकी रोक थाम के लिए लागू पाबंदियों से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद मिलेगी और आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलेगी। उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने जमीन, श्रम, नकदी और कानून को सरल बनाने के बारे में बात की, हम उसकी सराहना करते हैं। ये अर्थव्यवस्था के लिये प्रमुख चुनौती है। इन चार क्षेत्रों में सुधारों से संकट की इस घड़ी में आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलेगी।'
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि पांच आधार...अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, व्यवस्था, जनसंख्या और मांग को मजबूत करने से भारत फिर से सतत वृद्धि के रास्ते पर आएगा। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जमीन, श्रम और नकदी पर जोर की जरूरत है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, 'भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये पांच बुनियाद को मजबूत बनाने से हम एक भेरसेमंद वैश्विक ताकत बनेंगे....।' वहीं पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रववाल ने कहा कि इस मौके पर प्रोत्साहन पैकेज समय की जरूरत है। इससे अर्थव्यवस्था के बुनियाद को मजबूती मिलेगी और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।