भोपाल: मध्यप्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चल रही रार थमने का नाम नहीं ले रही है। सरकार और संगठन के बीच समन्वय बनाने के लिए शनिवार को नई दिल्ली में हुई बैठक भी बेनतीजा समाप्त हो गई। अंत में महासचिव दिग्विजय सिंह ने सबकुछ ठीक है और घोषणा पत्र पांच साल के लिए होका है कहकर मामले पर मिट्टी डालने की कोशिश की।
मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक के शुरू होने की कुछ ही देर बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया वहां से रवाना हो गए। बैठक के बाद जब कमलनाथ से सिंधिया के सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने के सवाल पर उन्होंने कहा, तो वो उतर जाएं।
कर्जमाफी तो बहाना, राज्यसभा की सीट है निशाना
हालांकि भले ही किसानों की कर्ज माफी को सिंधिया की नाराजगी का कारण माना जा रहा है लेकिन सारा का सारा पेंच राज्यसभी की सीट को लेकर फंसा हुआ है। यही दोनों नेताओं के बीच तकरार की प्रमुख वजह है। राज्य सभा की प्रदेश से दो सीटें भरी जानी हैं। एक सीट पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का दावा पहले से तय है उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में एक सीट वो अपने सियासी रसूख के कारण तकरीबन हथिया चुके हैं।
वाजपेयी की भतीजी को राज्यसभा भेजना चाहते हैं कमलनाथ
वहीं दूसरी सीट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दावा ठोक रहे हैं। कमलनाथ दूसरी सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। जबकि ये सीट सिंधिया अपने लिए चाहते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को मई में हुए लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में वो वर्तमान में न तो सांसद हैं और न ही विधायक। ऐसे में सिंधिया राज्यसभा में जाना चाहते हैं लेकिन उनकी राह का कांटा मुख्यमंत्री कमलनाथ बन रहे हैं।
51 सीटों के लिए होंगे चुनाव
कांग्रेस के 11 सदस्य अप्रैल में सेवानिवृत होंगे। राज्यसभा की कुल 51 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में महाराष्ट्र से सात, तमिलनाडु से छह, बिहार और पश्चिम बंगाल से पांच, आंध्र प्रदेश और गुजरात से चार-चार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और ओडिशा से तीन-तीन, झारखंड और छत्तीसगढ़ से दो-दो और असम, मणिपुर, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से एक-एक सीट शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया और रणदीप सुरजेवाला जैसे लोगों को राज्यसभा में देखना चाहता है लेकिन पार्टी का ओल्ड ब्लॉग अपनी पसंद के लोगों को सदन में भेजना चाहता है।
करुणा शुक्ला पर ऐसे हो सकता है फैसला
करुणा शुक्ला का राजनीतिक क्षेत्र छत्तीसगढ़ रहा है। ऐसे में उन्हें मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजना सिंधिया को रास नहीं आ रहा है। छत्तीसगढ़ से भी राज्यसभा की दो सीटों भरी जानी हैं। वहां कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश से ज्यादा मजबूत स्थिति में है। ऐसे में हो सकता है कि पार्टी आलाकमना मध्यप्रदेश की बजाय करुणा को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजना का फैसला कर बीच का रास्ता निकाल ले। इससे कमलनाथ और सिंधिया दोनों की इच्छाएं पूरी हो जाएंगी और एमपी की सियासी रार भी थम जाएगी।