- पिछले 30 साल में जम्मू और कश्मीर पुलिस के 1700 से ज्यादा जवान आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं।
- अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पुुलिस बल को आतंकी टारगेट कर रहे हैं।
- एंटी टेरर ऑपरेशन में 90 फीसदी इंटेलिजेंस जम्मू और कश्मीर पुलिस के जरिए मिलती हैं।
सोमवार शाम श्रीनगर के जेवन इलाके में पुलिस की बस पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 3 पुलिसकर्मी शहीद हो गए और 11 जवान घायल हुए हैं। जेवन ऐसा इलाका है जहां से रेग्युलर रुप से पुलिस बल और सुरक्षा बलों की आवाजाही होती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि इतने संवेदनशील इलाके में सुरक्षा इंतजामों के बावजूद हमला कैसे हो गया। आतंकी कैसे पुलिस बस के करीब पहुंचे, और फायरिंग कर भाग गए। इसके अलावा यह भी बड़ा सवाला है कि पुलिस बल आतंकियों के निशाने पर क्यों हैं। इस मसले पर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल ने जम्मू और कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी.वैद से बात की। पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
कल हमला चूक की वजह से हुआ ?
कल जो हमला हुआ, वह ऐसा इलाके में हुआ है, जहां पर जम्मू और कश्मीर आर्मर्ड पुलिस का हेड क्वॉर्टर है। इसके अलावा बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी के ऑफिस हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में एरिया डॉमिनेशन रखना चाहिए । लेकिन जहां तक कल हुए हमले की बात है तो आरओपी (रोड ओपेनिंग पार्टी) शाम 5 बजे के बाद हटा ली गई थी। और उसके 20-25 मिनट के बाद ही हमला हुआ। साफ है कि इस स्तर पर चूक हुई है। जब मैं डीजीपी था तो उस वक्त जिस एरिया में मूवमेंट होती थी, वहां डिप्लॉयमेंट कर डॉमिनेट किया जाता था। लेकिन कल इस स्तर पर चूक हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है।
पुलिस क्यों टारगेट पर ?
ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि सीमा पार से जो हैंडलर आतंक की फैक्ट्री चलाते हैं, वह यह जानते हैं कि एंटी टेटर ऑपरेशन में जम्मू और कश्मीर पुलिस की बेहद अहम भूमिका है। कश्मीर में जो भी एंटी टेरर ऑपरेशन होते हैं, उसमें 90 फीसदी इंटेलिजेंस जम्मू और कश्मीर पुलिस के जरिए मिलती हैं। आतंकवादी इसलिए पुलिस के अंदर भय पैदा करना चाहते है। लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है, जम्मू-कश्मीर पुलिस पिछले 30 साल से आंतकियों के सफाए के लिए काम कर रही है। और इसके लिए अब तक 1700 पुलिस बल के लोगों ने कुर्बानी दी है। और हजारों पुलिस के लोग घायल हुए हैं। पुलिस के जोश में कोई कमी नहीं है और आगे भी वह आतंकियों के सफाए के लिए मुस्तैदी के साथ काम करती रहेगी।
370 हटने के बाद पुलिस पर हमले बढ़े ?
पुलिस पर हमले अनुच्छेद 370 हटने से पहले भी होते थे। लेकिन पिछले कुछ महीनों से पुलिस की एंटी टेरर ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका को देखते हुए, हमले बढ़ाए जा रहे है। इस तरह के हमले कर वह पुलिस के अंदर भय पैदा करना चाहते हैं। लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। पुलिस के परिवारों ने बहुत कुर्बानी दी है। इस लड़ाई में देश के लिए पुलिस ने बड़ी कुर्बानी दी है।
ठंड में हमले क्यों ?
जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकियों ने रणनीति बदली है। सामान्य तौर पर ठंड में हमले नहीं होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है, आतंकवादी साजिश के तहत ऐसा कर रहे हैं। वह उस धारणा को तोड़ना चाहते हैं, जिसमें यह कहा जा रहा है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हालात सामान्य हो गए हैं। उसे गलत साबित करने के लिए हमलों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसमें आईएसआई पूरी तरह से शामिल है।
हमले ऐसे न हो, उसके लिए क्या करना चाहिए ?
देखिए जेवन वाला जो इलाका है, वहां से बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों का मूवमेंट होता है। रोज सुबह जवान जाते हैं और शाम को वापस आते हैं। ऐसे में यहां के मूवमेंट को सभी देख रहे हैं। आम आदमी से लेकर आतंकवादी भी देख रहे हैं। ऐसे में जहां पर रेग्युलर मूवमेंट होती है वहां पर आरओपी और एरिया डॉमिनेशन रखना चाहिए। अगर चूक करेंगे, तो हमले होंगे।
आतंकवादियों को घेर कर पूरी तरह से सफाया करना चाहिए। क्योंकि अगर आतंकवादी घूमेंगे तो कही न कहीं हमले जरूर करेंगे। इसके लिए पुलिस बल को हथियारों से लैस होकर रहना चाहिए। पुलिस के पास हथियारों की कमी नहीं है। इसमें कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
370 हटने के बाद क्या बदला ?
सबसे बड़ा फर्क पत्थरबाजी की घटनाओं में आया, अब वह खत्म हो चुकी है, पहले आतंकियों के जनाजे के समय हजारों की भीड़ इकट्ठा होती था। आतंकावादी भी पहुंचते थे, फायरिंग करते थे, लड़कों की भर्तियां करते थे। अब वैसी बात नहीं है।
आंतकियों के इकोसिस्टम को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। मसलन एडमिनिस्ट्रेशन में बैठकर आतंकियों की मदद करने वालों को बर्खास्त किया गया है। विकास की गतिविधियां बढ़ गई हैं, निवेश आ रहा है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसी गई है। हुर्रियत कांफ्रेंस को पूरी तरह से खत्म किया गया। एनआईए ने हवाला से आ रहे पैसे पर शिकंजा कसा है।
लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी भी रेडिकलाइजेशन हो रही है। लड़के आतंकी संगठन ज्वाइन कर रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी मदरसों में लोगों का रेडिकलाइजेशन कर रहा है। इस दिशा में काम करने की जरूरत है। केवल पुलिस और सुरक्षा बलों पर सब-कुछ छोड़ना ठीक नहीं है। पूरे समाज और सरकार को इस प्रक्रिया मे शामिल होना है। तब जाकर बात बनेगी।