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Vice President Election:भाजपा को 'किसान पुत्र' धनखड़ आए याद, ममता से दूर कर क्या साधेगी पार्टी !

Updated Jul 17, 2022 | 12:08 IST

Jagdeep Dhankhar Vice President Candidate: जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा क्या साधना चाहती है, यह भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह  और दूसरे नेताओं के उन्हें किसान पुत्र कहने के संबोधन से समझा जा सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
दार्जिलिंग में जगदीप धनखड़ के साथ ममता बनर्जी और हिमंत बिस्वा शर्मा
मुख्य बातें
  • जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए शायद अपने करियर की सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी है।
  • धनखड़ की उम्मीदवारी से राजस्थान, हरियाणा के किसान और जाट समुदाय को भाजपा साधना चाहती है।
  • धनखड़ के बाद पश्चिम बंगाल का राज्यपाल कौन होगा, इस पर सबकी नजर है।

Jagdeep Dhankhar Vice President Candidate: जगदीप धनखड़ को भाजपा ने उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक बार फिर हैरान कर दिया है। और उन कयासों पर विराम लगा दिया है, जिसमें यह चर्चा थी कि भाजपा किसी अल्पसंख्यक को उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन धनखड़ के नाम का ऐलान करते वक्त जिस तरह भाजपा ने उनके प्रोफेशन से ज्यादा उनकी पृष्ठिभूमि  पर जोर दिया, उससे साफ है कि भाजपा उन्हें पश्चिम बंगाल से शिफ्ट कर राजस्थान, हरियाणा के जाट और किसानों को अहम संदेश देना चाहती है। और इसी रणनीति के तहत भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह  और दूसरे नेता उन्हें किसान पुत्र कह कर संबोधित कर रहे हैं

13 जुलाई की तस्वीर बहुत कुछ कहती है ?

वैसे तो पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की तल्खी जगजाहिर है। लेकिन 13 जुलाई को दार्जिलिंग में हुई मीटिंग कई संदेश दे रही है। इस मीटिंग के लिए जगदीप धनखड़ के पास ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा पहुंचे थे। हिमंत बिस्वा शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों का करीबी माना जाता है। तो तीनों की मुलाकात के कोई सियासी मायने हैं। क्योंकि उस मीटिंग की तस्वीरभी खुद धनखड़ ने ट्वीट की है।  

अहम बात यह है कि तीनों के बीच हुई इस लंबी मीटिंग के बाद राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता  बनर्जी ने एक-दूसरे के खिलाफ कुछ नहीं बोला है और धनखड़ की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद भी तृणमूल कांग्रेस की तरह से कोई बयान नहीं आया है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष की तरफ से केवल इतना कहा गया है कि उप राष्ट्रपति पद के विषय में 21 जुलाई को संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया दी जाएगी।  जबकि ममता बनर्जी और धनखड़ के रिश्ते पिछले 3 साल में इतने तल्ख रहे हैं कि दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खुल कर बयानबाजी करते आए हैं। और ममता बनर्जी तो कई पार धनखड़ को बंगाल के राज्यपाल पद से हटाए जाने की मांग कर चुकी हैं।

बंगाल में ममता को राहत या कोई और रणनीति

जाहिर है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ की राह आसान है, ऐसे में बंगाल से धनखड़ की विदाई ममता के लिए राहत है या फिर भाजपा कोई दूसरा दांव चलने वाली है, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। क्योंकि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि भाजपा ने ममता और धनखड़ के तल्खी को देखते हुए उन्हें हटा दिया है। धनखड़ को राज्यपाल से उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना, एक तरह से बंगाल में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका का ईनाम है। ऐसे में देखना यह है कि धनखड़ ने बंगाल में जो नजीर पेश की है, उसे अगले राज्यपाल किस ओर ले जाते हैं। और यही से तय होगा कि ममता बनर्जी और भाजपा के रिश्ते किस ओर बढ़ेगे। खास तौर पर जब 2024 के लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। और उसके पहले बंगाल में पंचायत चुनाव भी होने हैं।

किसान धनखड़ क्यों आएं याद

असल में चाहे जगदीप धनखड़ की उम्मीदवारी की ऐलान करते वक्त भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का  बयान हो या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का ट्वीट, सभी ने धनखड़ को बधाई देते वक्त खास तौर से उनके किसान पुत्र होने का उल्लेख किया है। साफ है कि भाजपा उनकी इस पृष्ठभूमि के जरिए बड़ा राजनीतिक संदेश देना चाहती है। खास तौर से जब राजस्थान और हरियाणा में विधानसभा चुनाव अगले दो साल में होंगे। धनखड़  राजस्थान के झुंझनू से आते हैं और जाट समुदाय से हैं। ऐसे में भाजपा उन्हे उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर जाट समुदाय को खास तौर से संदेश देना चाहती है। और राजस्थान, हरियाणा में इनका राजनीति में बेहद असर है। तीनों कृषि कानून लाने और उसके बाद हुए किसान आंदोलन और उसे वापस लेने के बाद, बनी परिस्थिथियों को देखेत हुए भाजपा धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर जाट समुदाय की नाराजगी भी दूर करना चाहती है।

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राजस्थान से लोकसभा और राज्य सभा सभापति !

अगर जगदीप धनखड़ उप राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत जाते हैं तो संसद के दोनों सदनों के प्रमुख पद पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व होगा। क्योंकि लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला भी राजस्थान से आते हैं और धनखड़ के उप राष्ट्रपति बनने के बाद राज्य सभा के पदेन सभापति का पद भी उन्हीं के पास होगा। इसके अलावा धनखड़ का प्रशासनिक अनुभव भाजपा के लिए राज्य सभा में बेहद कारगर साबित हो सकता है। क्योंकि वह न केवल वरिष्ठ वकील रहे हैं, बल्कि सांसद, विधायक, केंद्र सरकार में मंत्री से लेकर राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर काम कर चुके हैं। साथ ही उनके विभिन्न दलों में राजनीतिक संबंध भी अच्छे हैं, जो कि राज्य सभा की कार्रवाई में बेहद काम आ सकते हैं। 

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भाजपा का राज्य सभा में बहुमत नहीं है। उसके पास 245 सीटों वाली राज्य सभा में इस समय 91 सदस्य हैं। जबकि कांग्रेस के 31 और तृणमूल कांग्रेस के 13 सदस्य हैं। और किसी भी विधेयक को पारित कराने में उसे 123 सदस्यों को जरूरत पड़ेगी। ऐसे में राज्य सभापति की भूमिका सदन में बेहद अहम हो जाएगी।
 

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