- 2 मार्च तक आजम खान उनकी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला को जेल
- अदालत के सामने पेश न होने की वजह से करना पड़ा सरेंडर
- आजम खान के खिलाफ कुल 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान अपनी पत्नी और बेटे के साथ रामपुर की अदालत के सामने जब सरेंडर करने के लिए पहुंचे तो एक तस्वीर साफ हो चुकी थी मामला गंभीर हो चला है। अदालत से आंख मिचौली आखिर कितने दिन चलती, किसी न किसी दिन तो न्याय की चौखट पर हाजिरी देनी ही पड़ती। लेकिन जब वो अदालत में जज साहब के सामने खड़े हुए तो वो फरियादी नहीं बल्कि आरोपी का टैग लगा हुआ था।
रहम की अपील नहीं आई काम
अदालत में जज के सामने वो रहम की अपील कर रहे थे। लेकिन मी लॉर्ड बोले की अब कुछ दिन तो जेल में गुजारो और यह कहते हुए आगे की सुनवाई मुल्तवी कर दी। अब आजम खान के सामने दूसरा रास्ता ही क्या बचा था, अदालत अपनी गाड़ी से गए और जेल जोकि फिलहाल अब उनका दूसरा ठिकाना है कि सरकार की गाड़ी से गए। लेकिन वो शान और शौकत तो बीते जमाने की बात हो चली थी।
आजम की शेरो शायरी पर लगा था 'अमर' ग्रहण
आजम खान जब अपनी बात कहते हैं तो उसमें शेरो शायरी न हो वो कुछ उसी तरह है जैसे दाल में नमक न हो। उन दिनों को कौन भूल सकता है जब जया प्रदा के बहाने वो अमर सिंह से जा भिड़े थे। अमर वाणी के तीखे वार से उनकी शरीर तो चोटिल नहीं होती थी। लेकिन अमर वाणी के एक एक शब्द दिल को इस तरह बींध देते थे कि दिमाग में तनाव का समंदर हिलोरे मारने लगता था। लेकिन उस वाणी का इलाज भी कहां था।
याराना और अदावत के बीच आजम खान
नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानते थे वो भी तो नए सखा प्रेम में कुछ इस कदर सराबोर थे कि सबकुछ भूल गए या भूला दिया। ऐसी सूरत में आजम खान को उन सुनहले और दूखभरी दास्तां को भूलाने के सिवाए रास्ता ही क्या था। लेकिन तकदीर पर किसका वश है। वो तो हर एक को कठपुतली की तरह नचाती रहती है। अमर का सूरज अस्त हो चला था और जिस अमर के सुरंग में आजम फंसे थे वो बाहर निकल चुके थे।
एक ऐसी कथा जिसका अंजाम कुछ ऐसा हुआ
समाजवादी पार्टी की सरकार में आजम खान की तूती बोलती थी और उन्होंने एक ऐसी पटकथा को जौहर विश्नविद्यालय के रूप में जमीन पर उतारना शुरू किया जिसने उन लोगों की जमीन लील ली जो मुश्किल से गुजारा करते थे। आजम खान की नजर में जौहर विश्नविद्यालय को बुलंदियों पर पहुंचाने की थी तो उसकी जद में कुछ सरकारी जमीनें भी आ गईं। लेकिन शायद उन्हें नहीं पता था कि 2017 में उनकी सरकार यानि अखिलेश की सत्ता एक ऐसे शख्स के हाथ में फिसल जाएगी जिसका एजेंडा ही था कि वो उन लोगों को तो कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी जिन्होंने प्रदेश को लूटा है। आजम खान के खिलाफ योगी का ऑपरेशन कुछ इस तरह चला कि वो भागे भागे फिरते रहे लेकिन मी लॉर्ड की नजर से बच न सके।
(प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)