नई दिल्ली: सरकार की तरफ से कई बार दावा किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और सुरक्षाबलों को कार्रवाई करने की खुली छूट देने से घाटी में आतंकवाद में कमी आएगी और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सकेगा। लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं, वो इन दावों के उलट हैं। कश्मीर में आतंकियों की भर्ती नहीं थम रही है। इस साल हुई भर्ती पिछले 10 सालों में दूसरी सबसे बड़ी आतंकी भर्ती है।
News18 की खबर के अनुसार, जनवरी से नवंबर के पहले सप्ताह तक सुरक्षा अभियानों में 20 विदेशियों सहित 191 आतंकवादी मारे गए। लेकिन लगभग इसी समय 145 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए। आंकड़े बताते हैं कि 2018 में 107 मुठभेड़ों में सबसे ज्यादा 254 आतंकवादी मारे गए और 210 भर्ती के मामले दर्ज किए गए। इसकी तुलना में इस साल 86 मुठभेड़ों में 191 आतंक मारे गए हैं और 145 युवा आतंकवाद की राह पर निकल गए हैं।
साथ ही संभव है कि पांच से आठ लापता युवक भी आतंकियों के साथ हो गए हों। हालांकि 50 से अधिक अन्य लोग गिरफ्तार किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि चिनाब और पीर पंजाल घाटियों से भर्तियों की खबरें हैं।
वहीं 2019 में 79 मुठभेड़ में 157 आतंकवादी मारे गए और 127 युवा आतंकवाद में शामिल हुए। 2017 में आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के एक साल बाद, 83 मुठभेड़ों में 192 आतंकवादी मारे गए और 139 नए भर्ती हुए।
भारत ने पाकिस्तान को चेताया
भारत ने पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद के लिए लताड़ते हुए चेतावनी दी कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कार्रवाई करेगा। विश्व स्तर पर प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा 19 नवंबर को किए गए आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया में, सरकार ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया और नई दिल्ली में अपना संदेश दिया। विदेश मंत्रालय ने भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया कि पाकिस्तान को अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और द्विपक्षीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए और भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी तरह से नहीं किया जाना चाहिए।