- पीएम मोदी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर श्रद्धांजलि अर्पित की
- आतंकवाद और हिंसा से कभी किसी का कल्याण नहीं हो सकता- पीएम मोदी
- पीएम मोदी बोले- आतंकवाद मानवता के लिए वैश्विक चिंता का विषय
अहमदाबाद: पीएम मोदी ने शनिवार को गुजरात के केवडिया में सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर पहुंचकर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय एकता दिवस परेड समारोह को भी संबोधित किया। इस दौरान यहां बिल्कुल राजपथ की गणतंत्र दिवस की परेड जैसा नजारा देखने को मिला। इस दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा, 'आतंकी पीड़ा को भारत भली-भांति जानता है। भारत ने आतंकवाद को हमेशा अपनी एकता से, अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से जवाब दिया है। आज पूरे विश्व को भी एकजुट होकर हर उस ताकत को हराना है जो आतंकवाद के साथ है, आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।'
कुछ लोग आतंक के समर्थन में खुलकर आए
फ्रांस में चल रहे कार्टून विवाद के बीच पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग आतंक के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। इससे पहले भी पीएम मोदी ने ट्वीट कर फ्रांस का समर्थन करते हुए कहा था, 'फ्रांस में आज एक गिरिजाघर में हुए हमले सहित हाल के दिनों में वहां हुई आतंकवादी घटनाओं की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। पीड़ित परिवारों और फ्रांस की जनता के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ खड़ा है।'
आतंकवाद से किसी का भला नहीं हो सकता
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज के माहौल में दुनिया के सभी देशों को, सभी सरकारों को, सभी पंथों को, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बहुत ज्यादा जरूरत है। शांति-भाईचारा और परस्पर आदर का भाव ही मानवता की सच्ची पहचान है। आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता। आज जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी। ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की।'
पाकिस्तान का नाम लिए बगैर जिक्र
पाकिस्तानी मंत्री के संसद में पुलवामा हमले को लेकर दिए गए बयान पर पीएम मोदी ने कहा, 'देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो हमले में अपना राजनीतिक स्वार्थ देख रहे थे। देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका उदाहरण है।'