- आखिर क्यों नमक का लोटा लेकर पहुचे थे जयंत चौधरी? फिर भी महापंचायत में मिला झटका
- मुजफ्फरनगर में आयोजित हुई थी महापंचायत
- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी है किसानों का आंदोलन
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन अब यूपी के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी तक कई महापंचायतें हो चुकी हैं। शनिवार को मथुरा तथामुजफ्फरनगर के बाद रविवार को बागपत औऱ फिर बिजनौर में आयोजित महापंचायत में हजारों लोग शामिल हुए। पंचायतों में आसपास के जिलों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे और गाजीपुर सीमा पर हो रहे प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया।
महापंचायत में हुई ये बात
इन सबके बीच मुजफ्फरनगर की खाप महापंचायत में कई राजनेता भी पहुंचे थे जिनमें राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के जयंत चौधरी भी शामिल थे। बड़ी संख्या में एकत्र लोगों को देखकर खुश नजर आए जयंत चौधरी ने भी बारीकी से दांव खेलते हुए कहा कि जो किसान विरोधी जनप्रतिनिधि हैं उनका बहिष्कार कर देना चाहिए। इस दौरान उनके पास एक लोटा, गंगाजल और नमक भी था लेकिन पंचायत के चौधरी ने भी समझदारी दिखाते हुए लोटे को नहीं पकड़ा।
पहले से मौजूद था नमक लोटा
जयंत चौधरी ने अपने भाषण में कहा, 'जिन लोगों को आपने चुनकर भेजा वो भी आपकी आवाज नहीं उठा रहे हैं, ऐसे में अब कठिन फैसले लेने का समय है। यदि वे आपकी ओर नहीं आते तो उनका हुक्का पानी बंद कर दो और सार्वजनिक बहिष्कार करो। क्या गंगाजल मिलेगा?' रालोद के जिलाध्यक्ष पहले ही गंगाजल और नमक लेकर वहां बैठे थे। लेकिन भारतीय किसान यूनियन और बालियान खाप के चौधरी ने लोटे को नहीं पकड़ा।
क्या होता है लोटा नमक
उत्तर भारत में कई ग्रामीण जगहों पर लोटा नमक (लोटा नूण) की प्रथा है जिसके तहत लोटे तथा कसम को मजबूत माना जाता है। लोटा तथा नमक की कसम दिलाते समय नेता एक पानी से भरे बर्तन यानी लोटे में सामने वाले से नमक डलवाता है। कसम दिलाई जाती है कि अगर उसने वादा तोड़ा तो वह उसी तरह पानी में घुल जाएगा जिस तरह नमक पानी में गल जाता है। यानि उसे वादा तोड़ने की खुद ही सजा मिल जाएगी। पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड के जौनसार तथा हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में यह आज भी प्रचलित है। चुनाव के समय यह और ज्यादा चलन में आती है।