- शिव सेना ने 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ा था ।
- अकाली दल ने 27 साल पुराना गठबंधन तोड़ा था ।
- तेजस्वी यादव ने पार्टी बैठक में कहा है कि बिहार के बाद दिल्ली में सत्ता परिवर्तन करना है ।
Nitish Breakup With BJP: भाजपा के एक और पुराने साथी ने उसका साथ छोड़ दिया है। जनता दल (यू) , भाजपा के उस दौर के साथियों में से एक है, जब भाजपा को राजनीतिक रूप से 'अछूत' समझा जाता था। और कोई भी राजनीतिक दल भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करना चाहता था, उसे लगता था कि इससे उसकी सेकुलर छवि को झटका लगेगा। उस दौर में भाजपा के साथ शिव सेना, अकाली दल , समता पार्टी और बाद में विलय के बाद जनता दल (यू) ने गठबंधन किया था। लेकिन पहले शिव सेना फिर अकाली दल और एक बार फिर जनता दल (यू) की दूरी से भाजपा के सबसे पुराने साथियों का नाता टूट गया है। इन साथियों के निकलने का सीधा मतलब है कि अटल-आडवाणी और जार्ज फर्नांडीज की अगुआई में बना एनडीए अब कमजोर पड़ रहा है। और अब विपक्ष की राजनीति में नीतीश कुमार नए चेहरे और धुरी बन सकते हैं।
शिव सेना ने 30 साल पुराना तोड़ा था गठबंधन
भाजपा के पुराने साथियों में नाता तोड़ने वालों में पहला नाम शिव सेना का है। जिसने 2019 में 30 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया था। 2019 के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों दलों का गठबंधन टूट गया था और भाजपा के हाथ से सत्ता निकल गई थी। उसके बाद शिव सेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। लेकिन यह सरकार भी गिर गई और अब शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने राजनीतिक करियर के सबसे गहरे संकट का सामना कर रहे हैं। और उनकी पार्टी टूट चुकी है और उनके पुराने साथी एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं।
अकाली दल ने 27 साल पुराना तोड़ा था गठबंधन
इसी तरह किसान आंदोलन को लेकर 2021 में शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से 27 साल पुराना नाता तोड़ लिया था। भाजपा से रिश्ता टूटने के बाद 2022 के पंजाब विधान सभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की बुरी तरह से हार हुई है और वह एक बार पंजाब के सत्ता से दूर हो गई है। पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल ने 10 साल लगातार सरकार चलाई थी और 2017 से उसे कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था।
जद (यू) से दोबारा टूटा रिश्ता
जद (यू) और भाजपा का रिश्ता दूसरी बात टूटा है। इसके पहले नीतीश कुमार ने 2013 में भाजपा से 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ दिया था। लेकिन फिर 4 साल बाद वह फिर से भाजपा के साथ हो गए थे और अब फिर 5 साल बाद भाजपा से नाता तोड़ लिया है। नीतीश कुमार ने करियर के ऐसे समय में भाजपा का साथ छोड़ा है, जब वह अपनी राजनीति के आखिरी चरण में है। ऐसे में नीतीश नई भूमिका में दिख सकते हैं और 2024 के लोक सभा चुनाव में विपक्ष को लामबंद करने से लेकर भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाने में सक्रिय दिख सकते है।
विपक्ष का बनेंगे चेहरा !
एक बार फिर नीतीश के साथ बिहार में सरकार बनाने जा रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव अब नए तेवर में दिख रहे हैं। उन्होंने पार्टी बैठक में कहा है कि बिहार के बाद दिल्ली में सत्ता परिवर्तन करना है । जाहिर है तेजस्वी यह बात नीतीश के भरोसे ही कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में नीतीश कुमार विपक्ष की राजनीति का चेहरा बन सकते हैं। और जैसा कि जनता दल (यू) के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि नीतीश कुमार के अंदर प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण मौजूद हैं, वह 2024 में नई राजनीति का संकेत दे रहा है। हालांकि इस रेस में ममता बनर्जी और केसीआर पहले से ही शामिल हैं।
नीतीश ने कब-कब बदला पाला
- साल 1994 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़कर,जॉर्ज फर्नान्डिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था ।
- 1996 में बिहार में भाजपा से हाथ मिलाया और 2013 तक साथ चले। इस बीच वह बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और दोनों दलों ने मिलकर सरकार चलाई।
- साल 2013 में , जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया तो उन्होंने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया।
- 2015 में पुराने सहयोगी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया।
- 2017 में फिर महागठबंधन से नाता तोड़ भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई ।