- विवादों से जेएनयू का रहा है पुराना नाता
- रामनवमी पर नॉनवेज खाना खाने को लेकर जेएनयू में छात्रों के दो गुटों में हुआ था विवाद
- जेएनयू कैंपस में महिषासुर बलिदान दिवस मनाने पर मचा था खूब बवाल
JNU: देश के पहले प्रधानमंत्री के नाम पर बनी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) हमेशा विवादों में बनी रहती है। जेएनयू का विवादों से अटूट नाता है। पिछले कई सालों में यहां बड़े विवाद सामने आए हैं। कभी यहां के छात्र तो कभी यहां के वीसी सुर्खियां बने हैं। ताजा मामला एक दिन पहले सोमवार का है, जब जेएनयू की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने हिंदू देवी-देवताओं को लेकर बयान देते हुए कहा है कि मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता ऊंची जाति से नहीं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है। सबसे ऊंचे क्षत्रिय हैं।
कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है- शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित
इसके अलावा वीसी ने कहा कि भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए, क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, ये जीवन जीने की एक पद्धति है और अगर ये जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं। हालांकि, अब उनके बयान पर घमासान मचा हुआ है।
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वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब जेएनयू विवादों में रहा है। इससे पहले भी जेएनयू कई बार कई तरह के विवादों में रह चुका है, जिनकी गूंज आज भी सुनाई देती है। एक दिन पहले सोमवार को विद्यार्थियों के एक गुट और सुरक्षा गार्ड के बीच हुई झड़प के मामले में दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की। वहीं इसी साल रामनवमी पर नॉनवेज खाना खाने को लेकर जेएनयू में छात्रों के दो गुटों में विवाद हो गया था। इस झड़प में करीब 20 छात्र घायल हुए थे। वहीं, साल 2020 में 5 दिसंबर को जेएनयू कैंपस में नकाबपोश लोगों ने छात्रों साथ मारपीट की, जिसमें कई छात्र घायल हुए थे।
2019 में जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर हुआ था काफी बवाल
साल 2019 में जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर काफी बवाल हुआ था, तब छात्रों ने जेएनयू कैंपस से संसद तक पैदल मार्च निकाला, लेकिन पुलिस के साथ झड़प के साथ पथराव होने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं साल 2016 में जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कथित देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा। देश विरोधी नारे लगाने का आरोप तब के जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद पर लगा। बाद में इस मामले पर खूब बवाल हुआ और दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार समेत कई लोगों की गिरफ्तारी की।
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जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी भी काफी चर्चा में रही
इसके अलावा जेएनयू के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी भी काफी चर्चा में रही। जनवरी 2016 में जेएनयू के वीसी बनाए गए जगदीश कुमार का कार्यकाल भी काफी विवादों से भरा रहा, जेएनयू की कई बड़ी घटनाएं उनके ही कार्यकाल में हुईं। जेएनयू में उनका कार्यकाल 5 साल से ज्यादा का रहा है।
वहीं, साल 2014 में अक्टूबर महीने में जेएनयू कैंपस में महिषासुर बलिदान दिवस मनाने पर खूब बवाल मचा। इससे पहले साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में जवानों की शहादत पर वामपंथी छात्रों पर जेएनयू में जश्न मनाने का आरोप लगा। इसके अलावा साल 2005 में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का समर्थन करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को जेएनयू कैंपस में विरोध का सामना करना पड़ा था और यहां तक कि उनका रास्ता रोकने की भी कोशिश की गई थी। वहीं साल 2000 में जेएनयू में आयोजित एक मुशायरे के दौरान कई गजलें पाकिस्तान के समर्थन में भी पढ़ी गईं, जिसका सेना के दो अधिकारियों ने विरोध किया। विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की गई।