पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में एक बड़ी घटना हुई है। दरअसल, एक गवाह को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन शनिवार को वह बिहार के मुजफ्फरपुर की अदालत में पहुंच गई। बादामी देवी नाम की महिला मुजफ्फरपुर के सिविल कोर्ट में जज के सामने पेश हुई। महिला ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
उसने अदालत को बताया कि हुजूर मैं जिंदा हूं। मुझे सीबीआई ने मृत घोषित कर दिया है। यह एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है। महिला ने कोर्ट में वोटर आईडी कार्ड और पैन कार्ड समेत अपना पहचान पत्र भी दिखाया।
याचिकाकर्ता के वकील शरद सिन्हा ने कहा कि बादामी देवी मामले में एक प्रमुख गवाह थीं, सीबीआई ने 24 मई को पहले दायर अपनी रिपोर्ट में उन्हें मृत घोषित कर दिया था। सीबीआई पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने इसे जांच एजेंसी की बड़ी लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि यह सीबीआई की ओर से बड़ी लापरवाही है। अगर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी इस तरह काम करेगी तो क्या होगा? सिन्हा ने आगे कहा कि सीबीआई ने महिला से संपर्क तक नहीं किया और उसे मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हिंदी दैनिक हिंदुस्तान के सीवान ब्यूरो प्रमुख रंजन की मई 2017 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पत्रकार को उत्तर बिहार के सीवान में व्यस्त स्टेशन रोड के पास मोटरसाइकिल सवार अपराधियों ने गोली मार दी थी।
रंजन की विधवा आशा ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता शहाबुद्दीन और तेज प्रताप यादव के खिलाफ हत्या के मामले में षड्यंत्र रचने और भगोड़े अपराधियों को पनाह देने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। 2017 में सीबीआई ने मोहम्मद शहाबुद्दीन को हिरासत में लिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में इस मामले में तेज प्रताप के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी थी।