- कंगना रनौत उद्धव ठाकरे को सीधी चुनौती दे रही हैं
- बीएमसी की कार्रवाई की हरतरफ आलोचना हो रही है
- क्या इस विवाद का गठबंधन सरकार पर असर पड़ेगा?
नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत मामले में काफी आलोचना झेलनी वाली उद्धव सरकार के लिए मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। कंगना रनौत के साथ बढ़ा विवाद महाराष्ट्र में चल रही गठबंधन सरकार की और मुश्किलें बढ़ा सकता है। दरअसल, बीएमसी ने कंगना के ऑफिस पर बुलडोजर चलाया तो शिवसेना को अपने साथी दलों का साथ नहीं मिला। अब जैसे-जैसे ये विवाद बढ़ रहा है, उसी बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात के लिए सीएम के आधिकारिक निवास वर्षा बंगला पहुंचे हैं।
इससे पहले बीएमसी की कार्रवाई पर शरद पवार ने कहा, 'मुझे उनके कार्यालय के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन मैंने समाचार पत्रों में पढ़ा कि यह एक अवैध निर्माण था। हालांकि, मुंबई में अनधिकृत निर्माण नए नहीं हैं। अगर BMC नियमानुसार कार्य कर रही है, तो यह सही है।'
'बीएमसी ने अभी कार्रवाई क्यों की?'
पवार ने कहा, 'मौजूदा स्थिति में इस तरह की कार्रवाइयां लोगों के मन में संदेह पैदा करती हैं। कार्रवाई करने से उन्हें बोलने का मौका मिला है। यह जांचने की जरूरत है कि बीएमसी ने अब कार्रवाई क्यों की।' इसके अलावा पवार ने कंगना रनौत का नाम लिए बिना कहा कि उनके बयानों को अनुचित महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे बयान देने वालों को अनुचित महत्व दे रहे हैं। हमें देखना होगा कि लोगों पर इस तरह के बयानों का क्या प्रभाव पड़ता है। मेरी राय में लोग (ऐसे बयानों को) गंभीरता से नहीं लेते हैं।
वहीं कांग्रेस के संजय निरूपम ने कहा, 'कंगना का ऑफिस अवैध था या उसे डिमॉलिश करने का तरीका? क्योंकि हाई कोर्ट ने कार्रवाई को गलत माना और तत्काल रोक लगा दी। पूरा एक्शन प्रतिशोध से ओत-प्रोत था। लेकिन बदले की राजनीति की उम्र बहुत छोटी होती है। कहीं एक ऑफिस के चक्कर में शिवसेना का डिमॉलिशन न शुरू हो जाए।'
BMC की हो रही आलोचना
कंगना के बांद्रा स्थित बंगले का कुछ हिस्सा ढहाए जाने को लेकर शिवसेना के नेतृत्व वाली बीएमसी को भी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रनौत के यहां स्थित बंगले में अवैध निर्माण को तोड़ने की बीएमसी की प्रक्रिया पर रोक लगा दी और पूछा कि नगर निकाय के अधिकारी मालिक की गैरमौजूदगी में संपत्ति के भीतर क्यों गए। सोशल मीडिया पर भी लोग इस कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर रहे हैं और शिवसेना के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार को भी घेर रहे हैं।
ऐसे में सवाल है कि कंगना के खिलाफ बीएमसी की ये कार्रवाई कहीं महाराष्ट्र सरकार पर भारी न पड़ जाए। ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि कंगना इस कार्रवाई के बाद और ज्यादा आक्रमक हो रही हैं और उद्धव ठाकरे को सीधी चुनौती दे रही हैं। इस लड़ाई में उन्हें भारी सर्मथन भी मिल रहा है।