- भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध 1999 में शुरू हुआ था
- पाकिस्तानी सैनिकों ने LoC पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी
- भारतीय सेना को इसका पता उस साल मई की शुरुआत में लगा था
नई दिल्ली : देश 21वां कारगिल विजय दिवस मनाने जा रहा है। यह खास दिन देश के उन वीर सपूतों को समर्पित है, जब तमाम मुश्किलों को पार करते हुए भारत के जांबाजों ने 26 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल से खदेड़कर दुर्गम चोटियों पर विजय पताका फहराई थी। भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू एवं कश्मीर के कारगिल में छिड़े युद्ध को दो दशक से भी अधिक समय हो गए हैं। इस संघर्ष की शुरुआत कब हुई, भारतीय रणबांकुरों ने किस तरह यह सफलता अर्जित की, इसकी शौर्यगाथा को चंद शब्दों में नहीं समेटा जा सकता। पर संक्षेप में पूरे घटनाक्रम को कुछ इस तरह जाना और समझा जा सकता है:
3-15 मई 1999 : भारतीय सेना के गश्ती दल को कारगिल में घुसपैठियों के बारे में पता चला। वास्तव में यह जानकारी ताशी नामग्याल नाम के एक चरवाहे ने सेना को दी थी।
25 मई 1999 : भारतीय सेना ने स्वीकार किया कि 600-800 घुसपैठियों ने एलओसी पार किया है और कारगिल में और उसके आसपास उन्होंने अपना ठिकाना बना लिया है। इसके बाद भारतीय सेना के और जवानों को कश्मीर रवाना किया गया।
26 मई 1999 : भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों के ठिकानों पर हमले किए। इसमें भारतीय वायुसेना के विमानों की भी मदद ली गई।
27 मई 1999 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता का विमान मिग-27 आग की लपटों में घिर गया। वह पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाके में जा पहुंचे, जहां उन्हें युद्धबंदी बना लिया गया। इसी दौरान एक अन्य मिग-21 विमान को मार गिराया गया, जिसे स्क्वाड्रनन लीडर अजय आहूजा उड़ा रहे थे। इसमें वह शहीद हो गए।
31 मई 1999 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ 'युद्ध जैसी स्थिति' का ऐलान किया।
1 जून 1999 : तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने घुसपैठियों को पाकिस्तान वापस भेजने के लिए 'सुरक्षित मार्ग' की पेशकश की, जिस पर विवाद भी पैदा हुआ। इस बीच पाकिस्तान ने हमलों को तेज कर दिया। भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के बीच फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
3 जून 1999 : पाकिस्तान ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता को 'सद्भावना' के तौर पर भारत को सौंप दिया।
10 जून 1999 : पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट के छह सैनिकों के क्षत-विक्षत शव भारत को भेजे।
13 जून 1999 : भारत ने दौरान बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तोलोलिंग चोटी को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।
15 जून 1999 : अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से टेलीफोन पर बातचीत कर अपने सैनिकों को कारगिल से बाहर निकालने के लिए कहा।
23-27 जून 1999 : अमेरिकी जनरल जिन्नी ने इस्लामाबाद का दौरा किया, जिसमें नवाज शरीफ से फिर पीछे हटने के लिए कहा गया।
4 जुलाई 1999 : भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। इस बीच बिल क्लिंटन वाशिंगटन डीसी में नवाज शरीफ से मिले और उन पर सेना को वापस बुलाने के लिए दबाव बनाया।
11 जुलाई 1999 : पाकिस्तानी सैनिक पीछे हटने लगे। भारत ने बटालिक में प्रमुख चोटियों पर कब्जा किया।
12 जुलाई 1999 : नवाज शरीफ ने टेलीविजन के जरिये देश को संबोधित करते हुए सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की और वाजपेयी के साथ वार्ता का प्रस्ताव रखा।
14 जुलाई 1999 : वाजपेयी ने 'ऑपरेशन विजय' को सफल घोषित किया। सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए शर्त रखी।
26 जुलाई 1999 : कारगिल युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है। इस खास दिन को भारत में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।