Kargil War: भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाने और ‘ऑपरेशन विजय’ में सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए करगिल के द्रास में ‘प्वाइंट 5140’ को ‘गन हिल’ नाम दिया गया है। एक रक्षा प्रवक्ता ने शनिवार को ये जानकारी देते हुए कहा कि घातक गोलाबारी के साथ तोपखाना रेजिमेंट दुश्मन सैनिकों पर भारी पड़ी, जिसमें प्वाइंट 5140 भी शामिल था, जो 1999 के करगिल युद्ध में अभियान को जल्दी पूरा करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
द्रास के ‘प्वाइंट 5140’ को दिया गया ‘गन हिल’ नाम
गौरतलब है कि 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने लद्दाख में करगिल की बर्फीली चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ लगभग तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद जीत की घोषणा की। इसी के साथ ‘ऑपरेशन विजय’ का सफल समापन हुआ। प्रवक्ता ने बताया कि तोपखाना रेजिमेंट की ओर से द्रास के करगिल युद्ध स्मारक पर तोपखाने के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल टी.के. चावला ने पुष्पचक्र चढ़ाया। इस मौके पर सेना के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
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क्या है प्वाइंट 5140?
प्वाइंट 5140 तोलोलिंग कॉम्प्लेक्स में दुश्मन के कब्जे वाली सबसे ऊंची चौकी थी। 13 जेएके आरआईएफ की एक कंपनी प्वाइंट 5140 की ओर बढ़ी, जो दुश्मन द्वारा बड़ी संख्या में ऑटोमेटिक हथियारों के साथ मजबूती से गढ़ी गई स्थिति थी। कैप्टन विक्रम बत्रा ने मोर्चे का नेतृत्व किया और प्वाइंट 5140 पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला किया। उन्होंने दुश्मन पर एक साहसी हमला किया और खुद चार को आमने-सामने की लड़ाई में मार गिराया। भारी लड़ाई के बाद, प्वाइंट 5140 को अंततः 20 जून को 0330 घंटे तक कब्जा कर लिया गया। इस ऑपरेशन में लेफ्टिनेंट कर्नल वाई के जोशी, कैप्टन एसएस जामवाल, एनके देव प्रकाश और आरएफएन मेहर सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।