साल था 1998...सर्दियों का मौसम था, तभी जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर की 11 हजार फीट ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी सेना के कई जवान सिविल ड्रेस में आए और भारतीय सीमा में आकर कैंप बना लिए। जैसे ही भारतीय सेना के भनक लगी तो पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया गया। 2 महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में कैसे हजारों फीट ऊंची चोटियों पर भारतीय सेना लड़ी और हिंद के शूरवीरों ने पाकिस्तान को धूल चटाई ? कारगिल विजय दिवस के मौके पर आपको बताते हैं सेना की शौर्यगाथा
कारगिल में ना'पाक' प्लान
पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में घुसने की प्लानिंग पहले से ही कर ली थी। बताया जाता है कि नवंबर 1998 में पाकिस्तानी सेना के एक ब्रिगेडियर रैंक के अफसर ने कारगिल सेक्टर की रेकी की थी। उसी अफसर की खुफिया रिपोर्ट के बाद पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसने और वहां कब्जा करने की योजना पर अमल किया। जनरल परवेज मुशर्रफ और मौजूदा सरकार की हरी झंडी मिलते ही शुरुआत में कुछ पाकिस्तानी सैनिक वहां आए और फिर धीरे-धीरे संख्या बढ़ाकर वहां कब्जा कर लिया।
चरवाहे की सूचना के बाद एक्शन
भारतीय सेना को पाकिस्तान की इस हरकत की जानकारी तुरंत नहीं लगी। साल 1999 के मई महीने में एक चरवाहा अपने याक को खोजता हुआ उस इलाके में चला गया। ताशी नामग्याल नाम के इस चरवाहे ने जैसे ही उस इलाके में संदिग्ध गतिविधि देखी तो तुरंत ही भारतीय सेना को इसकी सूचना देने का मन बना लिया। ताशी वहीं से सीधे भारतीय सेना के पास दौड़ लगाया और पूरा हाल बता दिया। ऐसे में भारत को उस इलाके में पाकिस्तान की मौजूदगी का पता लगा। चरवाहे के मुताबिक- कारगिल सेक्टर में कुछ हथियारबंद घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है। फिर भारतीय सेना ने उस दुर्गम इलाके में पाकिस्तानियों को सबक सिखाने की ठान ली।
सेना का 'ऑपरेशन विजय'
कारगिल युद्ध उतनी ऊंचाई पर लड़ा गया एक ऐतिहासिक युद्ध था। कारगिल वॉर में आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के 562 जवानों की शहादत हुई तो 1363 जवान घायल हुए। घुसपैठ के जरिए युद्ध के लिए उकसाने वाले पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और करीब 1500 भारतीय जवानों के प्रहार से घायल हुए। बंदूकों, तोप और गोला-बारूद की बौछारों के बीच करीब 80 दिन तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने रहीं। आखिरकार सेना के जांबाजों की बदौलत ये युद्ध भारत ने जीत लिया और कारगिल में 26 जुलाई 1999 को तिरंगा लहराया। युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में तभी से 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल में भारत ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया कि सालों बाद भी अब वो हिंदुस्तान की सीमाओं पर हिमाकत करने से पहले 10 बार सोचता है।