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कोरोना के खिलाफ जेल से कैदियों ने छेड़ी जंग, कर रहे हजारों मास्क का निर्माण

Updated Mar 24, 2020 | 15:58 IST

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जेल में बंद कैदी भी साथ आए हैं। कर्नाटक की जेलों में बंद मास्क बना रहे हैं। कोरोना के चलते बाजार में मास्क की आपूर्ति में कमी आ गई।

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जेल में कैदी बना रहे मास्क

बंगलुरु: देश में जैसे-जैसे कोरोनो वायरस के मामलों की संख्या बढ़ रही है, लोगों में घबराहट भी बढ़ी है। इसलिए लोग वायरस से लड़ने के लिए थोक में फेस मास्क और सैनिटाइजर खरीद रहे हैं। इससे बाजार में फेस मास्क की आपूर्ति में कमी आई। आपूर्ति पूरी करने के लिए निजी कंपनियां बाजार में मास्क बेच रही हैं, वहीं बेंगलुरु में कैदी भी मास्क बनाने में लग गए हैं।

कर्नाटक में कैदी लगभग 5,000 मास्क का उत्पादन कर रहे हैं। बेंगलुरु में सेंट्रल जेल में कैदी 2,000 मास्क का निर्माण कर रहे हैं। वे अब तक गृह विभाग को 17,000 मास्क बेच चुके हैं।

कर्नाटक जेल और सुधार सेवा महानिदेशक एनएस मेघारिख ने बताया, 'हम अपने कर्मचारियों के लिए मास्क खरीदने के लिए तैयार थे लेकिन पता चला कि वो पर्याप्त उपलब्ध नहीं हैं। तब हमने जेल में मास्क बनाने का फैसला किया। कैदियों को अब एक सप्ताह के लिए मास्क बनाने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है।' 

राज्य की जेलों के कुल 15,000 और आठ सेंट्रल जेलों के कैदी निर्माण कार्य में शामिल हैं। उन्होंने मास्क को पुलिस के साथ-साथ बेंगलुरु वाटर सप्लाई और सीवेज बोर्ड को 6 रुपए प्रति पीस पर बेचा है। कैदियों ने प्रति दिन 5,000 मास्क का निर्माण किया।

हालांकि सरकार की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि मास्क पहनने की जरूरत किसे है और किसे नहीं हैं। हर किसी को मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं है। मास्क केवल तभी पहनें जब- आप में COVID-19 के लक्षण (खांसी, बुखार या सांस लेने में कठिनाई) हो, आप COVID-19 से प्रभावित व्यक्ति/मरीज की देखभाल कर रहे हों, आप एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं और आप इन लक्षणों से प्रभावित मरीज की देखभाल कर रहे हों। 

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