- राज्य सरकार ने इंटरनेट को मूल अधिकार माना है और इसका सबसे ज्यादा फायदा गरीब तबके को मिलेगा।
- फ्री इंटरनेट सर्विस के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर छोटे कारोबारियों को बड़ा बूस्ट देने की तैयारी है।
- केरल का मॉडल दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन सकता है, और अगर ऐसा होगा तो गरीब तबके को सीधा फायदा पहुंचेगा।
Kerala Own Internet Serivce : केरल देश का पहला राज्य बन गया है , जो अपनी खुद की इंटरनेट सेवा देगा। इसके लिए उसकी कंपनी केरल फाइबर ऑप्टिक लिमिटेड (KFON) को डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DOT) से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड का लाइसेंस मिल गया है। इस बात की जानकारी देते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने ट्वीट कर कहा है कि अब हमारा प्रतिष्ठित KFON प्रोजेक्ट इंटरनेट को एक बेसिक राइट्स (मूल अधिकार) के रूप में देने के लिए शुरू हो सकेगा। योजना का प्रमुख उद्देश्य राज्य के 20 लाख आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सेवा प्रदान करना है। इसके अलावा राज्य के 30 हजार से ज्यादा सरकारी दफ्तरों और शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ना है। जो कि ई-गवर्नेंस में सहयोग करेंगे। इसके लिए राज्य में 35 हजार किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का जाल बिछाया जाएगा। इसके जरिए 10 mbps से लेकर 1 gbps तक स्पीड मिलेगी।
राज्य सरकार ने माना इंटरनेट मूल अधिकार
KFON, केरल सरकार का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है।जिसके तहत राज्य सरकार, लोगों को इंटरनेट सेवा मूल अधिकार के रूप में देना चाहती है। यानी जिस तरह शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार है, वैसे ही राज्य में हर शख्स को इंटरनेट सेवाओं के इस्तेमाल का मूल अधिकार मिलेगा। इसके लिए राज्य के हर शख्त तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने की योजना है। जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सर्विस मिलेगाी। इस योजना के तहत राज्य सरकार हर गांव और कस्बे तक इंटरनेट सेवाएं पहुंचेगी। केरल सरकार ने 2019 में KFON परियोजना को मंजूरी दी थी। इस योजना से राज्य के 20 लाख गरीब लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा। इसके अलावा अन्य आय वर्ग के लोगों सब्सिडी के तहत इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जाएगी। अगर ऐसा ही मॉडल दूसरे राज्य अपनाते हैं तो देश के करीब 27 करोड़ (तेंदुलकर कमेटी के अनुसार बीपीएल आबादी) लोगों को फायदा मिलेगा।
अभी तक कहा पहुंचा है प्रोजेक्ट
राज्य की KFON प्रोजेक्ट की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनसार 15 हजार से ज्यादा किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का जाल बिछा दिया गया है। और 21888 सरकारी संस्थान ऑफिस गो-लाइव के लिए रेडी हैं। जबकि 8885 गो-लाइव स्थिति में पहुंच चुके हैं। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का लाइसेंस मिलने के बाद अब सरकार आने वाले समय में जल्द ही इंटरनेट सर्विस शुरू कर सकेगी।
दूसरे राज्यों के लिए बनेगा नजीर
जिस तरह केरल सरकार ने इंटरनेट को लोगों का मूल अधिकार माना है और वह आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मुफ्त इंटरनेट सेवा देने की बात कह रही है। ऐसे में यह मॉडल दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन सकता है। क्योंकि अभी कई राज्यों में फ्री वाई-फाई हॉट स्पॉट की सुविधा देने का वादा तो किया गया है। लेकिन एक मुश्त आबादी को फ्री इंटरनेट देने का केरल पहला उदाहरण बनने जा रहा है। और अगर दूसरे राज्य भी इंटरनेट को मूल अधिकार बना देते हैं, तो फिर उन राज्यों के लिए लोगों को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह सरकार के जरिए इंटरनेट सुविधा मुफ्त में प्राप्त कर सके।
भारत सरकार भी चला रही है भारत नेट प्रोजेक्ट
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं की पहुंच बनाने के लिए भारत सरकार भी 2.50 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ने पर काम कर रही है। इसके तहत देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों तक हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं पहुंच जाएगी। जहां से ई-गवर्नेंस सेवाओं को देना आसान हो जाएगा। भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 1,81 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ दिया गया है और वहां पर जरूरी उपकरण भी इंस्टॉल कर दिए गए हैं। 1.04 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायत में वाई-फाई हॉटस्पॉट इंस्टॉल किए गए हैं। और 53,600 ग्राम पंचायत में वाई-फाई एक्टिव हैं।