- संसद में धरना नहीं देने के फैसले की विपक्ष ने की आलोचना
- आरजेडी नेता मनोज झा बोले- संसदीय लोकतंत्र को कब्रगाह तक ले जाने की कोशिश हो रही है
- इससे अच्छा है की विपक्षी सांसदों को ये घर पर बैठा दे - बाजवा
नई दिल्ली: 14 जुलाई की तारीख में संसद की तरफ से एक पार्लियामेंट्री बुलेटिन जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि संसद भवन परिसर में अब किसी भी तरह का धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित है। विपक्ष ने इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा है। आपको बता दें कि सोमवार से मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा, 'पार्लियामेंट्री बुलेटिन लाकर ये कहा जा रहा है कि संसद के अंदर धरना नहीं दे सकते हैं। संसदीय लोकतंत्र को कब्रगाह तक ले जाने की कोशिश हो रही है। हमारी मांग है कि लोकसभा स्पीकर और चेयरमैन तुरंत इसमें हस्तक्षेप करें।'
बाजवा का हमला
वहीं, पार्लियामेंट्री बुलेटिन द्वारा संसद में धरना नहीं देने के फैसले को कांग्रेस वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि यह सरकार चीन और रूस की तरह देश चलाना चाहती है। टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इसे फरमान कहता हूं। इससे अच्छा है कि विपक्षी सांसदों को घर पर ही बिठा दें।
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आया है नया आदेश
राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी के एक नए आदेश के अनुसार, संसद सदस्य किसी भी धरने या हड़ताल के लिए इसके परिसर का उपयोग नहीं कर सकते हैं। पीसी मोदी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, "सदस्य किसी भी प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास या किसी धार्मिक समारोह को करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का उपयोग नहीं कर सकते हैं।" उन्होंने सदस्यों से सहयोग की अपील की।
वहीं, कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध किया है। पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट कर इस फैसले पर तंज कसा है। उन्होंने आदेश की चिट्ठी ट्वीट करते हुए लिखा, 'विषगुरु की नवीनतम सलाह- धरना मना है!'
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