- केरल में गर्भवती हथिनी को बारुद से भरे अनानास खिला दिए थे जिससे उसकी मौत हो गई
- हिमाचल में शरारती तत्वों ने गाय को खाने के समान में विस्फोटक पदार्थ खिला दिया
- असम के गोरचुक इलाके में स्थानीय लोगों ने एक चीते की पीट-पीटकर हत्या कर डाली
आदमी और जानवरों का रिश्ता बहुत पुराना है, मनुष्य का विकास भी क्रमागत तरीके से जानवरों से ही हुआ है, मगर इतनी लंबी विकास यात्रा के बाद मनुष्य फिर से जानवर बन रहा है और पशुओं पर जमकर अत्याचार कर रहा है, महज अपने मनोरंजन की खातिर बेजुबान जानवरों की जान लेने में भी नहीं चूक रहा है और अक्सर ही पशुओं पर बेरहमी से अत्याचार की खबरें सामने आती ही रहती हैं।
यहां तक की जानवरों की रिहाइश तक को इंसान ने सुरक्षित नहीं छोड़ा है और जंगल जो उनकी रिहाइश है वहां भी आदमी ने अतिक्रमण कर रखा है और अपने चंद फायदे के लिए वो निर्दयता करने में यहां तक कि निरीह जानवरों की जान लेने में भी नहीं चूकता है, जानवरों के अंगों के बेचकर फायदा कमाने की चाह में आदमी बेरहमी से उनका कत्ल भी निसंकोच कर देता है, कितनी ही घटनाएं इस तरीके होती रही हैं और आगे भी सामने आती रहेंगी।
कहते हैं 'जिंदा हाथी लाख का मरा तो सवा लाख का' जी हां हाथी की जिंदा रहते जो वैल्यू होती है उससे कहीं ज्यादा उसके मरने के बाद होती है शायद इसी फॉर्मूले को लेकर जंगल के अवैध शिकारी हाथियों को मारते रहते हैं, खैर ये बात तो हुई जंगलों की हाल ही में केरल के पलक्कड़ जिले में एक गर्भवती हथिनी के संग इतनी बेरहमी की गई कि उसकी तड़प-तड़प कर जान ही चली गई।
केरल में प्रेग्नेंट हथिनी को बारुद से भरे अनानास खिला दिए
केरल के पलक्कड़ जिले में एक हथिनी को कुछ लोगों ने मनोरंजन के चलते उसे बारुद से भरे अनानास खिला दिए थे उस हथिनी ने भी फल समझकर उसे खा लिया। सबसे ज्यादा दुखद बात ये कि वो हथिनी प्रेग्नेंट थी, वो अनानास उसके मुंह में जाते ही फट गया जिसकी वजह से उसका मुंह बेहद जख्मी हो गया और वो बेहाल हो गई।हथिनी खाने की तलाश में जंगल से बाहर पास के गांव में चली गई थी जहां वह खाने की तलाश मे थी कि वहां के कुछ लोगों ने उसे पटाखों से भरा हुआ अनानास खाने के लिए दिया जो उसके मुंह में जाकर फट गया।
दर्द से कराहती हथिनी आखिर में वहां की एक नदी में जाकर खड़ी हो गई, उसने दर्द से बचने के लिए अपना मुंह पानी में डाल रखा था ताकि उसे दर्द में थोड़ी राहत मिल सके मगर ऐसा हो ना सका वो असहनीय पीड़ा को बर्दाश्त करती रही बाद में नदी में ही उसकी मौत हो गई।
मामला सिर्फ एक हाथी की मौत का नहीं पेट में उसका नवजात भी था
ये मामला सिर्फ एक हाथी की मौत का नहीं है बल्कि उसके नवजात की मौत का भी है क्योंकि वो हथिनी प्रेग्नेंट थी और सब कुछ सही रहता तो वो जल्दी ही अपने बच्चे को जन्म देती और उसको पालती लेकिन ऐसा ना हो सका और उस हथिनी की मौत के साथ ही उसका नवजात भी दुनिया देखने से पहले काल के गाल में समा गया, वो बच्चा देखता भी क्या ये क्रूर दुनिया जहां ऐसे हत्यारे बसते हैं जो महज अपने मनोरंजन की खातिर किसी बेजुबान की जान लेने में गुरेज नहीं करते हैं, उस हथिनी का कसूर क्या था कि वो भूखी थी और ये भूख मिटाना ही उसकी जान जाने का सबब बन गया।
गर्भवती हथिनी की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि संभवत: पटाखों के विस्फोट के कारण उसके मुंह के अंदर गहरे घाव हो गये थे और इस कारण वह लगभग दो सप्ताह तक कुछ खा नहीं सकी और एक नदी में ही उसकी जीवन डोर टूट गई। हथिनी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार ऐसी आशंका है कि मुंह में पटाखे फटने से उसे गहरे घाव हो गए और उस जगह पर सेप्सिस हो गया। इसमें कहा गया है, 'इससे दर्द बढ़ गया और हथिनी लगभग दो सप्ताह तक कुछ खा-पी नहीं सकी।
गर्भवती गाय को खिला दिया विस्फोटक, उड़ गया जबड़ा
बेजुबानों के साथ निर्दयता का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता है केरल मामले के बाद ही हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में भी कुछ शरारती तत्वों ने गाय को खाने के समान में विस्फोटक पदार्थ खिला दिया था जिसके कारण गाय का जबड़ा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया यहां पर एक खेत में चरने के दौरान एक गर्भवती गाय के मुंह में विस्फोट हो गया जिससे उसका जबड़ा उड़ गया।
केरल की हथिनी की तरह गाय भी गर्भवती थी बाद में जख्मी गाय ने इलाज के दौरान एक बछड़े को जन्म दिया है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि गाय अब नॉर्मल दिनों की तरह ढेर सारा चारा एक साथ नहीं खा सकेगी यानि ये जख्म उसको जीवन भर सालता रहेगा।
असम में चीते की पीट-पीटकर हत्या
केरल के हथिनी मामले के बाद हाल ही में असम के गोरचुक इलाके में स्थानीय लोगों ने एक चीते की पीट-पीटकर हत्या कर डाली, चीते की हत्या के बाद उसके दांत एवं नाखुन निकाल लिए गए थे। असम में चीते को मारने की यह पांचवी घटना बताई जा रही है इसके पहले लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में गोलाघाट में चार चीतों के मारने की बात सामने आई थी।
यानि ये अंतहीन सिलसिला है जिसका कोई अंत होता नहीं दिख रहा है आदमी कहीं आपने चंद पैसों के लालच में तो कहीं सिर्फ मनोरंजन की खातिर इन बेजुबानों पर जमकर अत्याचार कर रहा है और उनकी जान तक लेने में गुरेज नहीं कर रहा है, ये जानते हुए भी कि इन पशुओं के बगैर उसके खुद के अस्तित्व पर भी खतरा हो जाएगा क्योंकि ये प्रकृति का चक्र है जिसमें हर किसी की अहमियत है और उसका रोल निर्धारित है, जाने कब आदमी इंसान बनेगा ये बड़ा सवाल है जिसका उत्तर शायद ही कभी मिल पाए।