- ग्रेटा का टूलकिट बनाने वाले खालिस्तानी का वीडियो वायरल
- टूलकिट’ को बनाने का शक पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) पर है
- कनाडा स्थित इस संस्था का फाउंडर खालिस्तानी एमओ धालीवाल है
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्वीट किए गए एक दस्तावेज के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जो कनाडा में जन्मे सिख, एमओ धालीवाल का है। पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF)नाम की सस्था का फाउंडर धालीवाल ही है जिस पर ग्रेट की टूलकिट बनाने का शक है। धालीवाल किसान आंदोलन के बहाने भारत में खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देना चाहता है।
वायरल हुआ वीडियो
वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के दौरान धालीवाल ने एक भड़काऊ भाषण दिया था जिसमें खालिस्तानी समर्थक धालीवाल भारत विरोधी भड़काऊ बयान दे रहा है और कह रहा है, 'यदि कृषि कानून कल वापस हो जाते हैं, तो यही हमारी जीत नहीं होगी। कृषि कानूनों की वापसी के साथ जंग की शुरुआत होगी और इसका अंत यही नहीं होगा। किसी को यह मत बताने दीजिए कि यह लड़ाई कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ खत्म हो जाएगी, क्योंकि वे इस आंदोलन से ऊर्जा खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। वे आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आप पंजाब से अलग हो, और आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हो, आप नहीं हो।'
कौन है धालीवाल
धालीवाल पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ा हैं जिसने ग्रेटा की विवादास्पद टूलकिट बनाई थी जिसके बाद इसकी जांच दिल्ली पुलिस कर रही है। कनाडा के इस संस्था की वेबसाइट ‘आस्क इंडिया’ पर किसानों से जुड़े तमाम प्रोपेगेंडा सामग्री की भरमार है और उनकी सोशल मीडिया साइट्स पर देश-विरोधी, खालिस्तान समर्थक सामग्री से भरी पड़ी है।अपने एक फेसबुक पोस्ट में, धालीवाल ने कहा कि संस्था की स्थापना उसकी दोस्त अनीता लाल द्वाराकी गई थी। धालीवाल 2011 में वैंकूवर में स्थापित एक डिजिटल ब्रांडिंग रचनात्मक एजेंसी, स्काईट्रैक का सह-संस्थापक और मुख्य रणनीतिकार भी हैं।
क्या था टूलकिट में
ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्वीट की घई ‘टूलकिट’ का लक्ष्य भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना था। पुलिस के अनुसार, ‘टूलकिट’ में एक खंड है, जिसमें कहा गया है.... 26 जनवरी से पहले हैशटैग के जरिए डिजिटल हमला, 23 जनवरी और उसके बाद ट्वीट के जरिए तूफान खड़ा करना, 26 जनवरी को आमने-सामने की कार्रवाई और इन्हें देखें या फिर दिल्ली में और सीमाओं पर किसानों के मार्च में शामिल हों।