- CPI नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ हुई उन्हीं ही पार्टी
- बिहार की घटना को ले हैदराबाद में पारित किया निंदा प्रस्ताव
- कन्हैया पर लगा है अपनी ही पार्टी के नेता के साथ मारपीट और बदसलूकी का आरोप
पटना: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के भाकपा उम्मीदवार रह चुके कन्हैया कुमार इन दिनों अपनी ही पार्टी के निशाने पर है। सियासी मंचों पर भी उनकी उपस्थिति कम ही दिखाई देते हैं। दरअसल अपने भाषणों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले कन्हैया कुमार इन दिनों कुछ अलग कारणों की वजह से चर्चाओं में हैं। खबर ये है कि कन्हैया ने कुछ समय पहले अपनी ही पार्टी के नेता के साथ मारपीट और बदसलूकी की थी जिसे लेकर अब उनकी अपनी ही पार्टी ने कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल बात दिसबर 2020 की है जब कन्हैया कुमार अपने समर्थकों के साथ पटना स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के दफ्तर पहुंचे थे जहां बेगूसराय जिला कार्याकारिणी की बैठक होनी थी। लेकिन बैठक किसी वजह से स्थगित कर दी गई और इसकी सूचना कन्हैया को नहीं दी गई। बस फिर क्या था, कन्हैया समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया और प्रदेश कार्यालय सचिव इंदुभूषण वर्मा के साथ बदसलूकी, धक्का-मुक्की और मारपीट की। हालांकि कन्हैया ने सफाई देते हुए कहा था कि वो इस हिंसा में शामिल नहीं थी।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं कन्हैया
कन्हैया कुमार सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य है। सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा की उपस्थिति में पार्टी की हैदराबाद में नेशनल काउंसिल की बैठक हुई जिसमें कन्हैया के बर्ताव की आलोचना की गई और उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया है। गौर करने वाली बात ये है कि 110 सदस्य बैठक में मौजूद रहे हैं और उनमें से 107 ने निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया। तेलंगाना सीपीआई के राज्य सचिव सी वेंकट रेड्डी ने कहा कि इस नौजवान नेता को इस तरह की चीजों से दूर रहना चाहिए।
पहले भी जुड़े हैं विवाद
यह पहली बार नहीं है जब कन्हैया कुमार के साथ विवाद जुड़ा हो, पहले भी उनके साथ कई विवाद जुड़ चुके हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बेगूसराय में कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि कन्हैया समर्थकों ने उनके साथ मारपीट की। पिछले साल ही दिल्ली सरकार ने उनके खिलाफ देशद्रोह का केस चलाने की अनुमति दी थी। हर आंदोलन में बढं-चढ़कर हिस्सा लेने वाले कन्हैया कुमार किसान आंदोलन के दौरान भी केवल ट्विटर पर ही सक्रिय दिखे लेकिन विरोध प्रदर्शनों में कहीं नजर नहीं आए।