- आरती तिवारी बलरामपुर से निर्विरोध चुनी गई हैं जिला पंचायत अध्यक्ष
- बलरामपुर से बीजेपी ने 21 साल की आरती को बनाया था उम्मीदवार
- सबको साथ लेकर जिले में विकास के कार्यों को गति दूंगी- आरती तिवारी
बलरामपुर:उत्तर प्रदेश में इन दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सुर्खियों में बने हुए हैं। सत्ताधारी बीजेपी के 22 उम्मीदवार बगैर चुनाव यानि निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। इन चुनावों में सबसे अधिक किसी की चर्चा हो रही है तो वह बलरामपुर जिला पंचायत सीट की। इस सीट पर भाजपा की आरती तिवारी जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुनी गई हैं। 21 साल की आरती अभी महारानी लाल कुंवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बीए फाइल ईयर की छात्रा हैं। आरती यूपी के पंचायत चुनाव में अब तक के इतिहास की शायद सबसे कम उम्र की जिला पंचायत अध्यक्ष होंगी।
आरती ने चाचा को दिया सारा श्रेय
जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने के बाद टाइम्स नाउ हिंदी से बात करते हुए आरती ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी कम उम्र में राजनीति में आएंगी। अपने चाचा श्याम मनोहर तिवारी को इसका श्रेय देते हुए आरती कहती हैं कि 'यह सब चाचा की बदौलत संभव हो पाया क्योंकि वो चाहते तो परिवार के अन्य सदस्यों को भी चुनाव मैदान में उतार सकते थे लेकिन उन्होंने घर की बेटी को आगे करने का फैसला किया।' इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर आरती कहती हैं, 'चाचा की प्रेरणा और सहयोग से मैंने राजनीति में कदम रखा है और जनता की सेवा ही मेरा लक्ष्य है। राजनीति के साथ पढ़ाई भी जारी रहेगी।'
आरती की प्राथमकिताएं
बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष आरती की प्राथमिकता क्या रहेगीं? इस सवाल का जवाब देते हुए आरती कहती हैं, 'स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क पर मेरा मेन फोकस रहेगा। विकास मेरा एजेंडा रहेगा। मेरी कोशिश रहेगी की आमजन की समस्याएं सुन कर उनका निवारण कर सकूं। इसके अलावा अन्य बुनियादी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सुलभ करना भी मेरी प्राथमिकता रहेगी।'
पारिवारिक पृष्ठभूमि
आरती का परिवार संघ की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता है और दशकों से बीजेपी के साथ जुड़ा हुआ है। आरती के चाचा श्याम मनोहर तिवारी बलरामपुर में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। प्रारंभिक पढ़ाई कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से करने वाली आरती एक ऐसे संयुक्त परिवार में रहती हैं जिसमें 22 लोग रहते हैं।
सबको साथ लेकर चलूंगी
इतनी कम उम्र में जिला पंचायत बनने वाली आरती कहती हैं कि वह सभी को साथ लेकर आगे चलेंगी। चाहे विरोधी हों या फिर सत्ताधारी सबसे राय-मशविरा कर काम करेंगी। आरती बताती हैं, 'हम तीन भाई और दो बहन हैं। मेरे तीन चाचा हैं और पिताजी सबसे बड़े हैं और किसान हैं। सभी लोग साथ रहते हैं और संयुक्त परिवार से ये सीख मिली है कि कैसे सबको साथ लेकर चलना होता है, तो राजनीति में भी इसी तरह सबको साथ लेकर चलूंगी।'
चाचा मनोहर तिवारी बोले ये बीजेपी में ही संभव है
आरती के चाचा श्याम मनोहर तिवारी कहते हैं, 'ये बीजेपी में ही संभव है कि एक साधारण सा व्यक्ति भी शीर्ष पर पहुंच सकता है। हमने टिकट के लिए कोई पैरवी नहीं की और ना ही हमें उम्मीद थी कि इतना बड़ा पद बीजेपी हमें देगी। हम पार्टी और पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने आरती को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। मुझे उम्मीद है कि आरती यहां की महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेंगी।'
इसलिए लड़ाया चुनाव
आरती को चुनाव लड़ाने के पीछे की वजह बताते हुए श्याम मनोहर कहते हैं, 'मैं चाहता तो आरती की मां या अन्य को लड़ा सकता था लेकिन आरती को इसलिए आगे किया ताकि और लड़कियों को भी प्रेरणा मिले। बाकि मीडिया और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद देते हैं जिन्होंने हमें सहयोग किया। हमने तो केवल आवदेन किया था और पार्टी ने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया। हमारा किसी बड़े नेता से कनेक्शन भी नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी आरती को टिकट मिला और यह केवल बीजेपी में ही संभव है।'
आपको बता दें कि बलरामपुर से समाजवादी पार्टी ने किरण यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन वो नामांकन के दिन समय पर नहीं पहुंच सकी। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी गाड़ी घंटों तक बेवजह रोके रखी ताकि वह डीएम दफ्तर ना पहुंच सके। वहीं इस आरोप पर आरती कहती हैं कि सारी बातें बेबुनियाद हैं और हार की वजह से सपा इस तरह के आरोप लगा रही है।