- कुलदीप बिश्नोई ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था।
- कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के छोटे बेटे हैं।
- उन्होंने कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष पद पर नियुक्त नही किए जाने के बाद बगावती तेवर अपना लिए थे।
Congress Leader Kuldeep Bishnoi Resign:जैसी संभावना थी कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। वह कल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे, इस बात के संकेत उन्होंने पहले दे दिए थे। आदमपुर से मौजूदा विधायक कुलदीप बिश्नोई ने आज विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को अपना इस्तीफा सौंपा। इसके पहले कांग्रेस ने जून में हुए राज्यसभा चुनाव में बिश्नोई के 'क्रॉस वोटिंग' करने के बाद पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। चार बार के विधायक और दो बार के सांसद बिश्नोई पहले से ही पार्टी से नाराज चल रहे थे। इस साल की शुरुआत में उन्होंने कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष पद पर नियुक्त नही किए जाने के बाद बगावती तेवर अपना लिए थे।
कांग्रेस से लंबे समय से चल रही थी नाराजगी
कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के छोटे बेटे हैं। कुलदीप का अगला पड़ाव भाजपा है, इस बात के संकेत पहले से ही मिलने लगे हैं। वह कुछ ही दिनों पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्ट, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिल चुके हैं। कुलदीप काफी समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। और उसी का नतीजा था का राज्य सभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन के खिलाफ वोट दिया, जिस कारण अजय माकन की हार हो गई। असल में कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा के इस्तीफा देने के बाद कुलदीप प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन हुड्डा और कुलदीप की लड़ाई में आलाकमान ने उदयभान को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
भाजपा के साथ कर चुके हैं गठबंधन
इसके पहले कुलदीप बिश्नोई ने 2009 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का गठन किया खा। चुनाव में पार्टी के 7 विधायक जीते, परंतु बाद में 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। और कुलदीप और उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई ही पार्टी में रह गए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। भाजपा ने 8 और हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टीने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन कुलदीप की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि भाजपा ने 7 सीटें जीती। इसके बाद विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारे पर सहमति नहीं बनने पर भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया और कुलदीप ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था।