- फिंगर एरिया से पूरी तरह से हटने के लिए चीन की आनाकानी लेकिन भारत का सख्त रुख बरकरार
- गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट वाले इलाकों से हटने के लिए तैयार
- दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 15 घंटे तक चली थी बातचीत
नई दिल्ली। चीन एक तरफ यह कहता है कि ड्रैगन और हाथी एक दूसरे के साथ डांस कर सकते हैं। मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए। लेकिन जब अमल करने की बात आती है तो वो कन्नी काटने लगता है। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में उसने चालबाजी दिखाई। गलवान इलाके में हिंसक झड़ हुई जिसमें उसके सैनिक मारे गए और भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए। भारत की तरफ से नाराजगी जताने के साथ जमीन पर संकेत दे दिया गया कि चीन कमजोर न आंके। उसका असर भी हुआ, गलवान से चीनी सैनिक पीछे हटे। लेकिन फिंगर एरिया को लेकर सहमति नहीं बनी है।
चुशूल में 15 घंटे तक चली बातचीत
लद्दाख के चुशूल में दोनों देशों के कोर कमांडरों को बैठक हुई लेकिन बताया जा रहा है कि फिंगर एरिया से चीन पूरी तरह हटने के लिए राजी नहीं है। बताया जा रहा है कि चीन फिंगर एरिया को पूरी तरह खाली नहीं करना चाहता है और अपनी मौजूदगी कुछ हद तक बनाए रखना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि चीन गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट से हटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
फिंगर एरिया को लेकर अड़चन
बताया जा रहा है कि चीन की चाहत है कि वो फिंगर 8 पर कुछ हद तक बना रहे। फिंगर चार के करीब चीन ने ब्लैकटॉप और ग्रीनटॉप से अपने निर्माण को नष्ट करना शुरू किया है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि अप्रैल और मई के महीने वाली स्थिति को ही बहाल करना होगा। दोनों देशों को स्टेटस को मेंटेन करना होगा।
स्टेटस को का सम्मान जरूरी
दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत करीब 15 घंटे चली। 14 जुलाई को सुबह 11.30 से लेकप 15 जुलाई की रात 2 बजे तक बातचीत चली। 21 और 22 जुलाई के आसपास दोनों देश एक बार फिर जमीनी हालात को देखेंगे। पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 को लेकर चीन को आशंका है कि एक बार यदि वो उस इलाके से पीछे हटे तो भारतीय फौज रणनीतिक तौर उंचे इलाकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। चीन का मानना है कि जमीनी तौर पर वो उस इलाके तक आते रहे हैं और वो उनके देश का हिस्सा है। लेकिन भारत ने साफ किया जब जमीन पर सीमा निर्धारण को लेकर अनिश्चितता है वैसे में दोनों देशों को स्टेटस को ही सम्मान करना चाहिए।