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देश के इस हिस्से में धधकती रहती है जमीन, जानें क्या है वजह

Updated Feb 03, 2021 | 09:26 IST

झारखंड का धनबाद जिले को काला हीरे का नगरी यानी कोल नगरी कहा जाता है। लेकिन इसका एक पहलू यह भी है यहां की जमीन धधकती रहती है।

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झरिया इलाके की खदानों में धधक रही है आग

नई दिल्ली। ब्रह्मांड के जिस हिस्से में इंसानी जात का  निवास है उसे ब्लू प्लेनेट या धरती कहते हैं। अगर ऐसा है तो उसके पीछ वजह यह है कि यहां पर पानी है जो जिंदगी के लिए जरूरी है। धरती के ऊपरी हिस्से में खूबसूरत समंदर है, वादियां हैं, पेड़ और पौधे हैं जिसके दिलकश नजारे से हम दो चार होते रहते हैं। लेकिन क्या जमीन के नीचे का हिस्सा भी कुछ वैसे ही तो इसका जवाब ना में है। जमीन के अंदर धधकता हुआ आग का गोला है लेकिन वो इतनी ज्यादा गहराई में है हम धरती की तपिश का कम अनुभव करते हैं। इन सबके बीच देश का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां जमीन के नीचे आग लगी हुई और उस इलाके का नाम है झारखंड का कोयलांचल यानी धनबाद और झरिया।

जमीन के अंदर आग का गोला
धनबाद और झरिया से देश का उत्तम किस्म का कोयला हासिल करता है और उसका उपयोग थर्मल पावर स्टेशन में होता है। लेकिन आपको जानकार ताज्जुब होगा कि इन इलाकों में बहुत सारी ऐसी खदाने हैं जो सुलग रही हैं और उसका असर भी सामने आता है। धनबाद में रहने वाले अजय कुमार का कहना है कि जब उत्तर भारत के दूसरे हिस्सों में पारा लुढ़क कर शून्य डिग्री के करीब पहुंचता है वैसे हालात में भी यहां गर्मी का अहसास होता है। दरअसल कुछ खदानों मे लगी आग को आज तक बुझाया नहीं जा सका है। अब सवाल यह है कि जमीन के अंदर कैसे आग लगी है। 

(सौजन्य-WTOP)
प्राकृतिक और मानवीय भूल बड़ी वजह

जमीन के अंदर लगी आग के बारे में वो बताते हैं कि दरअसल हिंदुस्तान में ओपन कास्ट माइनिंग भी की जाती है। जब कोयले का दोहन किया जाता है तो कभी कभी घर्षण या मानवीय वजहों से खदानें आग की जद में आ जाती हैं, जिसे बुझा पाना संभव नहीं हो पाता है। आप उसे ऐसे भी मान सकते हैं कि आग को बुझाने के लिए इतने अधिक संसाधन की जरूरत पड़ती है कि आर्थिक तौर पर उसे लाभ प्रद नहीं माना जाता है। 
 

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