- जकिया जाफरी ने गुजरात दंगे की दोबारा जांच की अर्जी दी थी
- जाफरी की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
- 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए थे दंगे
उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगे मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया।जकिया गुजरात में 2002 के दंगों में मारे गए, कांग्रेस के सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दरअसल नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया और उस काम में लेफ्ट, लिबरल और कांग्रेस सब शामिल थे। आप खुद समझ कांग्रेस के मानसिक दिवालियेपन को समझ सकते हैं जिस कमेटी का गठन उन्होंने किया था उसकी जांच रिपोर्ट पर उन्हें भरोसा नहीं हुआ। देश की अदालतों पर भरोसा नहीं हुआ।
रविशंकर प्रसाद की खास बातें
जाकिया जाफरी को लेफ्ट कांग्रेस का समर्थन था, नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की लगातार कोशिश हुई
पीएम मोदी के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार किया गया
एसआईटी ने पीएम मोदी को क्लीन चिट दी
एसआईटी का गठन भी यूपीए के दौर में हुआ। उसमें कोई भी सदस्य गुजरात से नहीं था
मोदी के पीछे लेफ्ट गैंग पड़ा हुआ था।
गुजरात दंगे को राजनीतिक चश्मे से देखा गया
मोदी के खिलाफ फर्जी कैंपेन चलाया गया
गुजरात दंगे की जांच एसआईटी ने की थी
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी की मामले को बंद करने संबंधी रिपोर्ट के खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को खारिज करने के, विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा।शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।एहसान जाफरी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे।