- हंदवाड़ा में आतंकियों से लड़ते हुए देश के जवानों ने फिर दी शहादत
- बीते दो दशक में सुरक्षा बलों को आतंकियों ने लगातार बनाया निशाना
- उरी और पुलवामा सहित कायराना हमलों के बाद भारतीय सेनाओं ने भी दिया मुंहतोड़ जवाब
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा से एक फिर आंखे नम करने वाली खबर आई है। आतंकवादी हमले में देश के जवानों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी है। सोमवार को तीन सीआरपीएफ कर्मियों की शहादत की खबर आई और इससे पहले हंदवाड़ा में ही शनिवार को आतंकियों के साथ एक मुठभेड़ में एक कर्नल सहित पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों को निशाना बनाने वाले कायरतापूर्ण हमले कोई नई बात नहीं है। आइए नजर डालते हैं बीते 2 दशक में सुरक्षाबलों पर हुए ऐसे ही बड़े आतंकी हमलों पर।
पुलवामा/ 14 फरवरी 2019: सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के दौरान सुरक्षाबलों के ट्रक से एक विस्फोटक से भरी कार टकरा दी गई थी। इस दौरान केंद्रीय पुलिस बल के 40 जवानों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद ही भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकी अड्डों पर हमला किया था।
26 अगस्त 2017- जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकवादियों ने जिला पुलिस लाइंस पुलवामा पर हमला किया था और इस दौरान हमलावरों को मार गिराए जाने से पहले 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।
29 नवंबर 2016- जम्मू में नगरोटा में 3 आतंकवादियों ने सेना के आर्टिलरी कैंप पर हमला किया, जिसमें सात सैनिक शहीद हुए थे, सभी हमलवार मारे गए थे।
उरी हमला/ 18 सितंबर 2016- 4 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने बारामुला जिले के उरी में एक सेना के शिविर पर हमला किया, जिसमें 18 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी, इनमें से अधिकांश जवान सो रहे थे। हमलावर भी मारे गए थे। इस घटना के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अंदर जाकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
3 जून 2016- आतंकवादियों ने पंपोर में एक सीआरपीएफ बस को निशाना बनाया, जिससे एक सरकारी भवन में शरण लेने से पहले दो कर्मियों की मौत हो गई। दो अधिकारियों और दो हमलावरों सहित तीन सैनिकों की हत्या के साथ दो दिवसीय मुठभेड़ खत्म हुई। इस दौरान एक नागरिक भी मारा गया।
25 जून 2016- आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की बस पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंपोर में आठ जवान शहीद हुए।
5 दिसंबर 2014 उरी के मोहरा में सेना के शिविर पर 6 भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला किया। घुसपैठियों के साथ लड़ाई में 10 सैनिक शहीद हुए थे।
24 जून 2013- आतंकवादियों ने श्रीनगर के हैदरपोरा में निहत्थे सेना के जवानों को ले जा रही एक बस पर हमला किया। हमले में आठ सैनिक शहीद हुए।
19 जुलाई 2008- शहर के बाहरी इलाके में श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर नारबल में सड़क के किनारे लगाए गए एक आईईडी को आतंकवादियों ने ब्लास्ट किया जिसमें 10 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी।
24 जून 2005- श्रीनगर के बाहरी इलाके में आतंकवादियों की ओर से एक कार बम ब्लास्ट में नौ सेना के जवान शहीद हुए।
20 जुलाई 2005- एक आत्मघाती कार हमलावर ने अपने वाहन को सुरक्षा बलों के वाहन में टक्कर मारकर उड़ा दिया। तीन सुरक्षा बल के जवान और दो नागरिकों ने जान गंवाई।
2 नवंबर 2005- एक आत्मघाती हमलावर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निजी आवास के पास, अबगाम में अपनी कार को उड़ा दिया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी और छह नागरिक मारे गए।
8 अप्रैल 2004 बारामुला जिले के उरी में एक पीडीपी की रैली में आतंकवादियों के ग्रेनेड हमले में 11 लोग मारे गए थे। इस दौरान राजनीतिक पार्टी पीडीपी श्रीनगर-मुजफ्फराबाद रोड को खोलने की मांग कर रही थी।
4 अगस्त 2004- श्रीनगर के राजबाग में शिविर पर आतंकवादी हमले में नौ सीआरपीएफ जवान मारे गए। जवाबी कार्रवाई में एक आतंकवादी भी मारा गया।
28 जून 2003- सुंजवान आर्मी कैंप पर आतंकवादियों द्वारा आत्मघाती हमले में एक अधिकारी सहित 12 सैनिक शहीद हुए। दो आतंकी ढेर हो गए।
22 जुलाई 2003- अखनूर में अपने शिविर पर हुए एक आतंकवादी हमले में एक ब्रिगेडियर सहित आठ सैनिकों ने शहादत दी। कई अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी हमले में घायल हो गए।
14 मई 2002/ 36 लोगों ने गंवाई जान- यह एक बड़ा आतंकवादी हमला था। जम्मू में कालूचक आर्मी छावनी में तबाही मचाने वाले तीन आतंकवादियों ने 36 लोगों की हत्या कर दी। हमलावर भी मारे गए थे।
1 अक्टूबर 2001/ 38 लोग मारे गए- आतंकवादियों ने श्रीनगर में पुराने विधानसभा परिसर के बाहर एक कार बम विस्फोट किया। 38 लोग मारे गए थे जबकि तीन हमलावरों को भी ढेर कर दिया गया।
17 नवंबर 2001 आतंकवादियों ने रामबन (तब डोडा जिले का हिस्सा) में एक सुरक्षा बलों के अड्डे पर हमला किया, जिसमें 10 सुरक्षा बल मारे गए। चार आतंकवादी भी मारे गए थे।
10 अगस्त 2000- आतंकवादियों ने श्रीनगर के रेजीडेंसी रोड पर ग्रेनेड फेंका। जैसे ही सुरक्षा अधिकारी घटनास्थल पर इकट्ठे हुए, उन्होंने एक कार बम विस्फोट किया, जिसमें 11 व्यक्ति और एक फोटो जर्नलिस्ट मारे गए।
19 अप्रैल 2000 (पहली बार आत्मघाती हमला)- कश्मीर विद्रोह में पहली बार 'मानव बम' का इस्तेमाल किया गया था। श्रीनगर के बादामीबाग इलाके में सेना मुख्यालय में आत्मघाती कार बम विस्फोट में दो सैनिकों ने शहादत दी थी।
3 नवंबर 1999- आतंकवादियों ने बादामीबाग सेना मुख्यालय पर हमला किया, जिसमें रक्षा जनसंपर्क अधिकारी मेजर पुरुषोत्तम सहित 10 सैनिकों ने जान गंवाई।