- जेडीयू उम्मीदवारों को हराने में चिराग पासवान ने छोड़ी कमी
- चिराग पासवान की लोजपा की वजह से एनडीए को हो हुआ 39 सीटों का नुकसान
- भले ही एनडीए को बहुमत मिल गया हो लेकिन चिराग ने एनडीए के दो तिहाई बहुमत का सपना किया चकनाचूर
पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन गयी है लेकिन एक सवाल सब के जेहन में अभी भी बना हुआ है कि आखिर एलजेपी के चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धोखा कैसे दिया ? चिराग पासवान पूरे चुनाव प्रचार में डे वन से एक नारा लगाते हुए घूमते रहे कि 'मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं'। चिराग ने इसी फार्मूला को लागू करते हुए 135 उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया। साथ ही हर जगह जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। 10 नवंबर को जब नतीजे घोषित हुए तो चिराग पासवान की एलजेपी के खाते में आई एक सीट यानि पिछले चुनाव से भी 1 सीट कम। इस चुनाव में चिराग की पार्टी को भले ही 5. 66 फीसदी वोट मिले लेकिन उन्होंने चुनावी परिणाम में एनडीए को भारी नुकसान पहुंचाया, विशेष रूप से जेडीयू को। चिराग की एलजेपी की वजह से एनडीए के 39 उम्मीदवार चुनाव हार गए।
एलजेपी ने एनडीए को चुनावी गणित में धोखा कैसे दिया?
अब सवाल उठता है कि आखिर एलजेपी ने एनडीए को चुनावी गणित में धोखा कैसे दिया। एलजेपी ने बिहार विधान सभा में इतना वोट काटा कि उन वोटों की वजह से एनडीए के 39 उम्मीदवार चुनाव हार गए और उसका लेखा जोखा इस प्रकार है :
बिहार विधान सभा परिणाम 2020
पार्टी |
हारी गई सीटों की संख्या |
जेडीयू | 33 |
वीआईपी | 4 |
बीजेपी | 1 |
हम | 1 |
कुल | 39 |
उपरोक्त आँकड़े क्या दिखा रहे हैं ? यदि जेडीयू के प्राप्त सीट 43 में 33 सीट को जोड़ दें तो कुल सीट बनता है 76 यानि यदि एलजेपी 33 सीट ख़राब नहीं करता तो जेडीयू को 76 सीटें मिलती और बिहार विधान सभा में जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जहां तक एनडीए की बात, यदि एनडीए को प्राप्त 125 सीट में 39 सीट जोड़ दें तो कुल योग 164 का बनता है।
नुकसान का फायदा हुआ किसको ?
बिहार विधान सभा परिणाम 2020
पार्टी |
जीती गई सीटों की संख्या |
आरजेडी | 28 |
कांग्रेस | 8 |
लोजपा | 1 |
अन्य | 2 |
कुल | 39 |
एलजेपी की वजह से सबसे बड़ा फायदा हुआ आरजेडी को यानि 28 सीटों का भारी फायदा और दूसरा सबसे बड़ा फायदा 8 सीटों का कांग्रेस को हुआ।
सबसे बड़ा नुकसान किसे हुआ?
सबसे बड़ा नुकसान 33 सीटों का जेडीयू को हुआ। यदि ये नुकसान न हुआ होता तो जेडीयू बिहार विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी होती और सबसे बड़ा फायदा हुआ 28 सीटों के साथ आरजेडी को हुआ। यदि ऐसा न होता तो आरजेडी 50 की संख्या के आस पास होती।
चिराग पासवान को मिला क्या?
एलजेपी ने चुनावी मैदान में 135 उम्मीदवार खड़े किये लेकिन जीत मिली सिर्फ 1 सीट पर और वोट मिला 5. 66 फीसदी। एक कहावत है कि खोदा पहाड़ मिली चुहिया। ये कहावत चिराग पासवान पर पूरी तरह फिट बैठती है। हां ये जरूर है कि चिराग ने एनडीए के 39 उम्मीदवार को चुनाव में धूल चटवा दिए।
कुल मिलाकर एलजेपी के चिराग पासवान ने सीधे सीधे एनडीए को धोखा दिया , जेडीयू को धोखा दिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धोखा दिया। यही कारण है कि जब नीतीश कुमार से पूछा गया कि एलजेपी को एनडीए में रखना चाहिए या नहीं तो नीतीश कुमार का जवाब था कि ये फैसला बीजेपी को करना है। दूसरी तरफ बीजेपी के महासचिव और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने साफ़ साफ़ कहा कि बिहार चुनाव में चिराग पासवान की एलजेपी ने एनडीए को धोखा दिया है । असली सवाल ये है कि इस धोखा का जवाब क्या होगा ? क्या अब भी चिराग पासवान एनडीए में रहेंगे? इसी सवाल का उत्तर आज जेडीयू बीजेपी से मांग रही है। क्या बीजेपी एलजेपी को एनडीए से बाहर करेगी? इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्भ में छिपा है जिस के लिए करना होगा इंतज़ार।