- देश में कोरोना के अब तक कुल केस डेढ़ लाख के पार
- इस समय पूरा देश लॉकडाउन चार में है।
- 31 मई के बाद क्या होगा इस विषय पर कयासों के बाजार गर्म
नई दिल्ली। दुनिया के दूसरे मुल्कों की तरह देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। 135 करोड़ की आबादी वाले देश में इस समय कोरोना संक्रमितों की तादाद डेढ़ लाख के पार है, चार हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं तो अच्छी बात यह है कि 60 हजार से ज्यादा लोग स्वस्थ भी हुए हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जिस तरह से भारत आगे बढ़ रहा है उसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के साथ लॉकडाउन को हथियार बनाया और इस समय हम इसके चौथे चरण में है। सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार लॉकडाउन के पांचवें चरण का ऐलान करेगी या यह चरण आखिरी होगा।
मन की बात और लॉकडाउन 5 का कनेक्शन !
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा हो सकता है कि पीएम नरेंद्र रविवार को होने वाले मन की बात में आगे की रणनीति के बारे में जानकारी हैं, क्योंकि लॉकडाउन का चौथा चरण 31 मई को समाप्त हो रहा है। लॉकडाउन के चौथे चरण के ऐलान से पहले पीएम मोदी सभा राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिले थे।इसके साथ ही राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि अब हमें जन से जग तक के बारे में सोचना है। पिछले दो महीने में देश ने जिस जज्बे के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी वो काबिलेतारीफ है। सराकर की जो जिम्मेदारी थी वो अपना काम कर रही है। लेकिन अगर जनभागीदारी नहीं हुई होती तो हम लॉकडाउन के मकसद को कामयाब नहीं कर पाते।
लॉकडाउन की कामयाबी, जनता की भागीदारी
पीएम मोदी ने कहा कि वो लॉकडाउन की वजह से उन लोगों की परेशानियों को समझते हैं जिनके पास वास्तव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। लेकिन जिस तरह से अधिसंख्य लोग सरकार के साथ खड़े रहे वो काबिलेतारीफ है। लेकिन इसके साथ कई सवाल भी हैं जिसे समझना जरूरी है। मसलन क्या लॉकडाउन से हमें फायदा मिला है। क्या इसकी वजह से जो लक्ष्य हमने अपने लिए तय किए थे क्या उसे हासिल करने में कामयाब हुए हैं। इस सवाल का जवाब समझने के लिए देश में मौजूदा कोरोना संक्रमितों की तादाद को समझने की जरूरत है।
अगर लॉकडाउन न होता तो तस्वीर भयावह होती
इस समय देश में कोरोना के अब तक कुल डेढ़ लाख मामले सामने आए हैं। इन आंकड़ों के संबंध में कई मॉडल सामने रखे गए जिसमें यह पाया गया कि अगर लॉकडाउन के फैसले को लेने में देरी हुई होती तो कोरोना संक्रमितों की तादाद 14 से 29 लाख के करीब होती और मरने वालों का आंकड़ा 70 हजार के पार होता। इसका अर्थ यह है कि लॉकडाउन की वजह से करीब करीब 20 गुना जान बचाने में कामयाबी हासिल हुई है। इससे भी बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन की वजह से केसों के ज्यादा न बढ़ने से मनौवैज्ञानिक रुप से इससे निपटने में भी सफलता मिली है।