- लोक जनशक्ति पार्टी में बड़ी फूट पड़ गई है
- चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस ने मीडिया के सामने आकर एक-दूसरे पर आरोप लगाए
- चिराग पासवान ने चाचा को लिखा पुराना पत्र सार्वजनिक कर दिया
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में घमासान मचा हुआ है। चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस आमने-सामने हैं। दोनों एक-दूसरे पर जमकर आरोप लगा रहे हैं और एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे हैं। पहले 5 सांसदों ने पशुपति पारस को लोकसभा में नेता चुना और फिर चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया। इसके बाद चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पांचों सांसदों को बाहर कर दिया और पारस गुट के उठाए कदमों को असंवैधानिक करार दिया।
इस बीच 15 जून को चिराग ने ट्विटर पर 6 पन्नों का एक पत्र शेयर किया जो उन्होंने 29 मार्च को अपने चाचा पशुपति को लिखा था। इससे सामने आया कि सिर्फ दल ही न ही बल्कि परिवार में भी कलह चल रही है और ये काफी पुरानी है। चिराग ने ट्वीट किया, 'पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा।पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए।लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ। एक पुराना पत्र साझा करता हूँ।'
इस पत्र में वो लिखते हैं, 'कई बार आपसे मिलकर समस्या सुलझाना चाहा, लेकिन आपकी तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। 2019 में रामचंद्र चाचा के निधन के बाद से ही मैंने आपमें बदलाव देखा है। उनके बेटे प्रिंस को मैंने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी, लेकिन आप इस फैसले से नाराज हुए। पापा ने मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का फैसला किया और आपने नाराजगी जताई। जिस दिन मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया आप सिर्फ 5 मिनट के लिए आए, प्रस्तावक बने और चले गए। इससे पापा बहुत दुखी हुए। मेरे अध्यक्ष बनने के बाद आपने घर आना-जाना कम कर दिया।'
चिराग आगे लिखते हैं, 'बिहार चुनाव के दौरान आपने मेरी बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट की यात्रा से दूरी बनाए रखी। आप बिहार सरकार में मंत्री बने, इससे पापा खुश थे। लेकिन आप पशुपालन विभाग मिलने से खुश नहीं थे, इससे पापा को दुख हुआ। पापा आपको लेकर चिंतित रहते थे। आपके लिए उन्होंने अमित शाह जी से भी बात की कि आपको केंद्र में किसी आयोग में जगह दिलाई जा सके। पापा अस्पताल में थे और उन्हें मीडिया से पार्टी विरोधी सूचनाएं मिली। आपने कभी उसका खंडन नहीं किया। पापा ने आपको फोन कर ऐसी खबरों पर अंकुश लगाने को कहा।'
आगे लिखा है, 'आप अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे। आपने नीतीश कुमार की तारीफ की। पापा के जाने के बाद मुझे आपकी जरूरत थी, लेकिन आपने नीतीश जी के पक्ष में बात की जिससे मुझे दुख हुआ। आपने चुनावी रणनीति में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। पूरे चुनाव में एक भी विधानसभा का दौरा नहीं किया। मात्र दो टिकट नहीं मिलने के कारण आपने पापा की मृत्यु के बाद जिस प्रकार का व्यवहार किया उससे मैं टूट गया और अब रिश्तों पर भरोसा नहीं कर पाता हूं।'
चिराग ने इस तरह अपने चाचा से खूब शिकायतें की जिससे साफ हो जाता है कि पार्टी में अब जो हो रहा है, उसकी भूमिका काफी पहले टल चुकी थी।