भोपाल : मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच प्रशासन को इसमें दखल देना पड़ा है। बताया जा रहा है कि जिले के सुराणा गांव से बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग अन्य समुदाय की धमकियों से डरकर गांव छोड़ रहे हैं। यह मामला काफी तूल पकड़ रहा है, जिसके बाद सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और रतलाम के पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है।
रतलाम जिले के सुराना गांव में कई परिवारों के दूसरे समुदाय के डर से अपना घर-बार छोड़ने की खबर सामने आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ने उनका साथ नहीं दिया और उनकी बातें नहीं सुनी गईं, जिसकी वजह से उनमें खौफ और बढ़ गया है। उनका कहना है कि स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से उन्हें अपने घरों, खेतों और मवेशियों को छोड़कर कहीं भी 'सुरक्षित' स्थान पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद अब पुलिस ने ग्रामीणों को पलायन से रोकने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया है। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में रतलाम के पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने गुरुवार को ट्विटर पर पोस्ट एक वीडियो में कहा, 'विवाद का कारण अवैध अतिक्रमण और अन्य स्थानीय छोटे मुद्दे हैं, जिन्हें जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कमेटी का गठन किया गया है। सुराणा मामले पर बनी कमेटी में एसडीएम और एसडीओपी के साथ ही दोनों पक्षों के दो प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा गांव में एक अस्थायी पुलिस चौकी बनाई गई है और स्थानीय प्रशासन को असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।'
कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
स्थानीय लोगों ने इस मामले को लेकर रतलाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें कहा गया है कि रतलाम जिले में बिलपंक पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले सुराणा गांव की आबादी लगभग 2,200 है जो हिंदुओं और अन्य समुदाय के बीच 60:40 के अनुपात में बंटी हुई है। मंगलवार को एसडीएम अभिषेक गहलोत के कार्यालय पहुंचे स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया था कि गांव वर्षों से सामाजिक सद्भाव रहा है, लेकिन हाल में दूसरे समुदाय की ज्यादतियों के बाद तनाव बढ़ गया है और हिंदू परिवारों पर हमले तथा उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ी हैं। उनके खिलाप्फ फर्जी शिकायत पुलिस में दी जा रही है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अन्य समुदाय के सदस्य गांव में प्रभुत्व कायम करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि पुलिस दोनों समुदायों को परेशान कर रही है।