- मध्य प्रदेश की विधानसभा में कुल एमएलए की संख्या 230, इस समय 228 विधायक
- 22 विधायकों के बागी होने के बाद कांग्रेस के पास 92 विधायक, इस लिहाज से कमलनाथ सरकार संकट में
- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में दिया था इस्तीफा और बीजेपी में हो चुके हैं शामिल
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। लेकिन कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस सरकार अल्पमत में हालांकि कमलनाथ का दावा है कि उनकी सरकार खतरे में नहीं है। यह बात अलग है कि फ्लोर टेस्ट से पहले उन्होंने कहा कि जिन कांग्रेसी विधायकों को बंधक बनाया गया है उन्हें पहले रिहा किया जाए।
पहले फ्लोर टेस्ट कराएं सीएम कमलनाथ
इस बीच एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार विश्वासमत या यूं कहें तो बहुमत खो चुकी है। इसलिए वो भाग रहे हैं। हम सरकार से मांग करेंगे को वो सदन में विश्वासमत का प्रस्ताव लाए। मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वो फ्लोर टेस्ट कराएंगे। लेकिन वो अपने वादे से मुकर रहे हैं। हमारी सिर्फ एक ही मांग है और वो सिर्फ फ्लोर टेस्ट है।
विधानसभा की यह है तस्वीर
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 विधायक हैं।लेकिन दो विधायकों के निधन के बाद मौजूदा समय में 228 विधायक हैं। इस लिहाज से सरकार में बने रहने के लिए कुल 115 विधायकों का समर्थन चाहिए। कांग्रेस के पास कुल 114 विधायक थे।लेकिन 22 विधायकों के बागी होने के बाद अब कांग्रेस के पास महज 92 विधायक हैं, अगर निर्दलियों के साथ साथ बीएसपी और एसपी के विधायकों को जोड़ भी लिया जाए तो कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे है। इसका अर्थ यह है कि कांग्रेस सरकार संकट में है।
सीएम कमलनाथ को लगता है डर
सवाल यह है कि क्या मध्य प्रदेश के सीएम को यह लगता है कि उनकी सरकार का बच पाना नामुमकिन है। दरअसल हाल ही में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को खत लिखा और अपील किया कि जिन कांग्रेसी विधायकों को बंधक बनाया गया है उन्हें आजाद कराया जाए। लोकतंत्र का तकाजा यही है और बीजेपी के इस कद्दावर नेता को इस अपील पर ध्यान देना चाहिए। जानकारों का कहना है कि कहीं न कहीं कमलनाथ सरकार को लगता है कि अब सत्ता पर काबिज रहना मुश्किल है।