- मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
- फ्लोर टेस्ट पर राज्यपाल का आदेश बिल्कुल सही था- सुप्रीम कोर्ट
- कोर्ट ने कांग्रेस के तर्क को किया खारिज, शिवराज ने दायर की थी याचिका
नई दिल्ली: देश में कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस दौर में भी सुप्रीम कोर्ट का कामकाज जारी है। कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंबित अहम मामलों का निपटारा कर रही है। सोमवार को भी कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया। दरअसल कोर्ट मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी और इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पिछले महीने हुए फ्लोर टेस्ट के मामले में राज्यपाल का आदेश बिल्कुल सही था।
आदेश था जरूरी
मध्य प्रदेश सरकार गठन के मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि गवर्नर फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में सही थे और यह जरूरी था क्योंकि सरकार बहुमत खो चुकी थी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'संवैधानिक कानून और राज्यपाल की शक्तियों पर एक विस्तृत निर्णय दिया गया है।' कोर्ट ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर 68 पेज का एक विस्तृत आदेश भी जारी किया।
कांग्रेस के बागी विधायकों की वजह से गिरी सरकार
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 10 मार्च को कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए थे जिसके बाद सीएम कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई है। ये विधायक बाद में बेंगलुरु के एक होटल में रहने चले गए थे और बागियों को मनाने के लिए दिग्विजय सिंह ने बेंगलुरु पहुंचकर बागियों के होटल के सामने धरना दिया।
यह मामला काफी दिनों तक ऐसे ही चलते रहा और बाद में जब राज्यपाल ने सीएम कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था तो कांग्रेस व बीजेपी दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख अख्तियार कर लिया। 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ को अगले दिन पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया लेकिन उससे पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया था।