- सिंधिया का गढ़ रहते हुए ग्वालियर पर भाजपा का 50 साल का आधिपत्य खत्म हो गया है।
- भाजपा का जबलपुर में मेयर पद पर दो दशक से कब्जा था।
- भाजपा का पिछले निकाय चुनाव में सभी 16 मेयर पदों पर कब्जा था।
Madhya Pradesh Local Body Election and Politics: अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव ने भाजपा और कांग्रेस को बड़ा सबक दे दिया है। प्रदेश के निकाय चुनाव के पहले चरण के परिणाम में आम आदमी पार्टी (AAP) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM) ने धमाकेदार एंट्री की है। दोनों पार्टियों ने एंट्री इतनी धमाकेदार हुई है कि पहले चरण में भाजपा-कांग्रेस के सियासी गणित बिगड़ गए। निकाय चुनावों में जहां आम आदमी पार्टी का एक मेयर बना है बल्कि उसके 17 पार्षद भी चुनाव जीत गए है। इसी तरह ओवैसी की AIMIM के 4 पार्षद जीत गए। दोनों पार्टियों की एंट्री का असर यह हुआ कि जहां सिंगरौली में भाजपा प्रत्याशी को मेयर पद के लिए हार का सामना करना पड़ा, वही बुहरानपुर में AIMIM का खेल बिगाड़ दिया है, भाजपा प्रत्याशी केवल 542 वोटों से जीत गया। परिणामों से साफ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानभा चुनाव के लिए अभी से नई रणनीति से कमर कसनी होगी।
आम आदमी पार्टी और ओवैसी ने कैसे बिगाड़ा खेल
निकाय चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर ग्वालियर और सिंगरौली में हुआ है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में हुआ। जहां पर कांग्रेस प्रत्याशी शोभा सिंह ने भाजपा प्रत्याशी सुमन को करीब 28 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया। अहम बात यह है कि आम आमदी पार्टी की उम्मीदवार को भी 45 हजार वोट मिले थे।
आम आमदी पार्टी को सबसे बड़ा बूस्ट सिंगरौली से मिला है। जहां पर उसकी प्रत्याशी रानी अग्रवाल मेयर पद पर जीत गई हैं। इस जीत पर मध्य प्रदेश की राजनीति को नजदीक से देखने वाले शमशेर कुमार का कहना है कि सिंगरौली की जीत आम आमदी पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी की जीत है। रानी अग्रवाल पिछले कई वर्षों से यहां पर सक्रिय हैं। और विधानसभा चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रही थी। इसी तरह दूसरे पार्षदों की जीत में उनका रसूख हावी है। हालांकि ग्वालियर में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार का तीसरे नंबर पर आने यह संकेत है कि जनता तीसरे विकल्प को तलाश रही है।
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इसी तरह बुरहानपुर, खंडवा और उज्जैन में मेयर सीट पर भाजपा उम्मीदवार की जीत में AIMIM की एंट्री बड़ी वजह बनी है। और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। वहां पर बुहरानपुर में AIMIM प्रत्याशी को 10 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं। इसी तरह उज्जैन में भाजपा केवल 736 मतों से जीती है। इन चुनावों में पहले चरण में AIMIM के 4 पार्षद जीत कर आए हैं।
ग्वालियर और जबलपुर भाजपा के लिए झटका
पहले चरण के मेयर चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए झटका हैं। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा का उन सभी 11 सीटों पर कब्जा था, जहां के परिणाम जारी हुए हैं। इस बार भाजपा को इन 11 में से 7 सीटों पर ही जीत मिली है। जबकि 3 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है, वहीं आम आदमी पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई है। सबसे चौंकानी वाली जीत कांग्रेस को ग्वालियर और जबलपुर में जीत मिली है। सिंधिया का गढ़ रहते हुए वहां पर भाजपा का 50 साल का आधिपत्य खत्म हो गया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा की हार की एक बड़ी उम्मीदवारों को लेकर खींचतान रही है।
इसी तरह जबलपुर में भी भाजपा के मेयर पद प्रत्याशी की हार उसके लिए बड़ा झटका है। । पिछले दो दशक से इस सीट पर भाजपा का कब्जा था।
विधानसभा चुनावों में कितना असर
जहां तक पहले चरण के परिणामों का असर है कि साफ है कि भाजपा का जादू पिछली बार जैसा नहीं चला है। पिछली बार 16 मेयर सीटों पर भाजपा का कब्जा था। पहले चरण में 7 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई है। जबकि बाकी बची 5 सीटों के लिए मतगणना 20 जुलाई को होगी। साफ है कि भाजपा अगर बची सभी जीतती हैं तो उसका आंकड़ा 12 तक ही पुहंचेगा। इसके अलावा जिस तरह कांग्रेस ने ग्वालियर, जबलपुर की सीट जीती है, वह उसके लिए बड़ा बूस्ट साबित होगी। वहीं आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम का प्रदर्शन दोनों पार्टियों के लिए चुनौत भी बनेगाी।