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मध्यप्रदेश: जनसंख्या बढ़त पर काबू पाया, चाइल्ड सेक्स रेशियो में आया सुधार

Updated Jul 11, 2022 | 12:52 IST

बीते दशक में मध्यप्रदेश की जनसँख्या वृद्धि में 4 प्रतिशत की कमी आई है। मध्यप्रदेश जनसंख्या नियंत्रण के मामले में अपनी स्थिति को लगातार बेहतर करने की कोशिश कर रहा है।

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सर्वेक्षण में ये भी सामने आया कि 2 बच्चों के बाद और अधिक बच्चों की चाह न रखने वाले परिवारों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
मुख्य बातें
  • मध्यप्रदेश में शिशु लिंगानुपात (जन्म के समय) 919 था, जो अब बढ़कर 956 हो चुका है।
  • मध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि में लगभग 4 प्रतिशत की कमी आई है।
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना की वजह से मध्यप्रदेश में बाल विवाह में 93% की कमी आई

भोपाल: जुलाई की 11 तारीख को विश्व जनसंख्या दिवस है। बढ़ती हुई जनसंख्या विश्व भर में एक समस्या के रूप में उभरने लगी थी। अगर इस पर काबू पाने की पहल न होती तो जल्द ही विश्व संसाधनों की कमी होने लगती। इसी पर अंकुश लगाने के लिए और  विकास एवं प्रकृति पर अधिक जनसंख्या के प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने के लिए यूनाइटेड नेशंस ने इस दिवस की घोषणा की।  

बढ़ती जनसंख्या गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर भी प्रकाश डालती है, जिससे परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मातृ स्वास्थ्य की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत ने इन विषयों को गंभीरता से लिया और इनपर युद्धस्तर पर काम करना शुरू किया। मध्यप्रदेश में भी विभिन्न योजनाओं के ज़रिये इन समस्यायों के निदान खोजे गए। और इन्हीं में से एक लाड़ली लक्ष्मी योजना की वजह से न केवल चाइल्ड सेक्स रेशियो में सुधार आया, बल्कि कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर अपराधों पर भी बहुत हद तक रोक लगी।  

5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार लाड़ली लक्ष्मी योजना की वजह से मध्यप्रदेश में बाल विवाह में 93% की कमी आई। यही नहीं 2011 की जनगणना के समय प्रदेश का शिशु लिंगानुपात (जन्म के समय) 919 था, जो अब बढ़कर 956 हो चुका है। इसमें राज्य के ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड जैसे कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है। सर्वेक्षण में ये भी सामने आया कि 2 बच्चों के बाद और अधिक बच्चों की चाह न रखने वाले परिवारों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। यह प्रतिशत 78 से ज़्यादा हो चुका है। वहीं बेटियों से ज्यादा बेटे चाहने वाले महिलाओं और पुरुषों का प्रतिशत 18 से घटकर 13 हो गया है।

ताज़ा अध्ययन पर नज़र डाली जाए, तो देखने को मिलता है कि बेटी की चाह को लेकर नवविवाहितों एवं किशोर की सोच बेहतर हुई है। हर वर्ग के 99 प्रतिशत लोग बेटी का विवाह 18 वर्ष के बाद कराना चाहते हैं। लगभग 93 प्रतिशत लोग बेटी को 12वीं कक्षा से अधिक पढ़ाना चाहते हैं। ज्यादातर पालक लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ लेने के लिए बेटी की शिक्षा जारी रखना चाहते हैं। कुल मिलाकर 90% से ज़्यादा लोगों की सोच में बालिकाओं के जन्म, स्वास्थ्य, खान-पान संबंधी व्यवहारों, शिक्षा, घर में होने वाले व्यवहार एवं विवाह के संबंध में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं।

2011 की जनगणना के विवरण के अनुसार, मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7.27 करोड़ है, जो 2001 की जनगणना में 6.03 करोड़ के आंकड़े से ज़्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या 72,626,809 है, जिसमें पुरुष और महिला क्रमशः 37,612,306 और 35,014,503 हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि इस दशक में कुल जनसंख्या वृद्धि 20.35 प्रतिशत थी, जबकि पिछले दशक में यह 24.34 प्रतिशत थी। इस तरह अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में जनसंख्या वृद्धि में लगभग 4 प्रतिशत की कमी आई है, जो किसी उपलब्धि से कम नहीं।  

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