औरंगाबाद : कोरोना संकट ने सिस्टम का असंवेदनशील चेहरा उजागर कर दिया है। महाराष्ट्र के बीड़ जिले में कोरोना से मरे 22 मरीजों के शव को एक एंबुलेंस में भरकर श्मशान घाट ले जाने का मामला सामने आया है। यह घटना सामने आने के बाद लोगों में गुस्सा देखने को मिला। लोगों का आक्रोश शांत करने के लिए बीड़ जिला प्रशासन को अपनी एक टीम 220 किलोमीटर दूर अम्बाजोगई गांव रवाना करना पड़ा।
पुलिस पर परिजनों के मोबाइल छीनने का आरोप
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाते हुए कहा कि शवों को जब एंबुलेंस में भरा जा रहा था तो उस समय मृतकों के कुछ परिजन इस घटना का अपने मोबाइल फोन से वीडियो बना रहे थे लेकिन वहां एंबुलेंस के पास मौजूद पुलिसकर्मियों ने कम से कम दो लोगों से उनके फोन छीन लिए। व्यक्ति ने बताया कि शवों का अंतिम संस्कार होने के बाद उनके मोबाइल फोन लौटाए गए।
मामले की जांच का आदेश
अधिकारियों का कहना है कि बॉडी बैग्स में रखे गए 22 शवों को अम्बाजोगई स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा गवर्न्मेंट मेडिकल कॉलेज (एसआरटीएमजीएमसी) से लेकर एंबुलेंस (एमएच-29/एटी'-0299) रवाना हुई। अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक एंबुलेंस एक मोबाइल आईसीयू है। अधिकारियों का कहना है कि 22 में से 12 लोगों की मौत शनिवार को हुई और शेष मौतें रविवार को हुईं। नौ लोगों की मौत लोखंडी सवरगांव जम्बो कोविड सेंटर में हुई। बीड़ के जिलाधिकारी रवींद्र जगताप का कहना है कि उन्होंने अम्बाजोगई के अतिरिक्त कलेक्टर को मामले की जांच करने का आदेश दिया है। अधिकारी ने कहा कि मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
अस्पताल के डीन ने दी सफाई
रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि शवों को एंबुलेंस में रखे जाते समय वीडियो बनाने वाले दो परिजनों के मोबाइल फोन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने छीन लिए। एसआरटीएमजीएमसी के डीन डॉक्टर शिवाजी सुकरे ने कहा, 'शवों को श्मशान घाट ले जाने के लिए वहां पर केवल दो एंबुलेंस थीं। हम लोगों ने और एंबुलेंस की मांग की। हमारी जिम्मेदारी शवों को अम्बाजोगई नगर प्रशासन को सौंपने की होती है। नगर प्रशासन शवों के साथ क्या करता है इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।' सुकरे ने कहा कि व्यवस्था के मुताबिक नगर प्रशासन अंत्येष्टि के लिए दो बार शवों को उनके पास से ले जाता है।