- दल बदल कानून के तहत शिंदे गुट को शिवसेना के 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
- शिंदे गुट को अलग करने के बाद शिव सेना के 16 , एनसीपी के 53 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं।
- भारतीय जनता पार्टी के पास 106 विधायक हैं। और शिंदे गुट के विधायकों के साथ मिलकर आसानी से बहुमत हासिल कर सकती है।
Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के फैसले की घड़ी अब नजदीक आ गई है। एक तरफ राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को कल बहुमत साबित करने को कहा है, वहीं फ्लोर टेस्ट से बचने के लिए ठाकरे सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उसे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से उसे फ्लोर टेस्ट पर राहत मिल जाएगी। ठाकरे सरकार के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से साफ है कि वह बहुमत जुटाने के लिए और समय चाहती है। लेकिन 21 जून से चल रहे सियासी ड्रामे में ठाकरे की हर कोशिश नाकाम होती दिख रही है। वह बागी विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए, धमकी से लेकर भावनात्मक अपील तक का हथियार इस्तेमाल कर चुके हैं। लेकिन बदलते समीकरण से साफ है कि उनके लिए 144 का मैजिक नंबर छूना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में अगर उन्हों सुप्रीम कोर्ट से झटका लगता है तो वह अविश्वास प्रस्ताव से पहले इस्तीफे का रास्ता चुन सकते हैं।
किसके पास कितने विधायक
- महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। लेकिन शिवसेना के एमएलए रमेश लटके के निधन से मौजूदा संख्या 287 रह गई है। ऐसे में किसी भी दल को बहुमत को हासिल करने के लिए 144 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
- अगर शिंदे गुट के दावों को सही माना जाय तो उसके पास शिव सेना के 55 में से 39 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में शिवसेना के पास 16 विधायक ही बचे हैं। इसके अलावा एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायकों का उद्धव ठाकरे को समर्थन प्राप्त हैं।
- वहीं भारतीय जनता पार्टी के पास 106 विधायक हैं।
- इसी तरह बहुजन विकास अघाड़ी के तीन और समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और प्रहर जनशक्ति के दो-दो विधायक हैं।
- राज ठाकरे की एमएनएस, सीपीएम, पीडब्ल्यूपी, स्वाभिमानी पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, जनसूर्या शक्ति पार्टी और क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के एक-एक विधायक हैं। जबकि 13 निर्दलीय विधायक हैं।
भाजपा और शिंदे गुट से ही गिर जाएगी उद्धव सरकार !
दल बदल कानून के तहत शिंदे गुट को शिवसेना के 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। और दावों के अनुसार शिंदे गुट के पास 39 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में भाजपा के 106 और शिंदे गुट के 39 विधायक ही आसानी से 144 के मैजिक नंबर को हासिल कर सकते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे की सरकार गिर जाएगी। हालांकि शिंदे का दावा है कि उनके पास 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। ऐसी स्थिति में एनडीए और 12 निर्दलीय विधायकों को शामिल कर लिया जाय तो भाजपा और शिंदे गुट के पास 164 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो जाता है।
पार्टी और गठबंधन | विधायकों की संख्या | बहुमत के लए आंकड़ा |
भाजपा और सहयोगी | 106+7 =113 | 144 |
शिंदे गुट | 39 | |
निर्दलीय | 13 | |
शिव सेना और सहयोगी | 122 | |
एमएनएस और अन्य | 7 |
उद्धव सरकार के पास बहुमत नहीं !
अब अगर उद्धव ठाकरे के साथियों की स्थिति देखी जाय तो शिंदे गुट को अलग करने के बाद शिव सेना के 16 , एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक साथ हैं। इस स्थिति में उनके पास 113 विधायकों का समर्थन हैं। अगर बहुजन विकास अघाड़ी के तीन और समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और प्रहर जनशक्ति के दो-दो विधायकों का उद्धव ठाकरे को समर्थन मिल जाता है तो उनके पास कुल 122 विधायक होंगे। जबकि बहुमत हासिल करने के लिए 144 विधायकों की जरूरत हैं।
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16 विधायक नहीं डाल पाए वोट तब क्या होगा
एक समीकरण यह भी बनता है कि शिव सेना जिन 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई है, वह अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कर पाएं। इस स्थिति में विधानसभा की मौजूदा संख्या 287 से घटकर 271 पर आ जाएगी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 136 हो जाएगा। और वहां पर भी भाजपा अपने 106 विधायकों, 7 एनडीए के साथियों और शिंदे गुट के बचे 23 विधायकों के जरिए 136 विधायकों का समर्थन हासिल कर सकती है। इसके अलावा 12 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ उसका आंकड़ा 148 पहुंच जाएगा। कुल मिलाकर, सभी समीकरणों को देखते हुए साफ है कि उद्धव सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट के जरिए सरकार बचाना बेहद मुश्किल है।
पार्टी और गठबंधन | विधायकों की संख्या |
बहुमत के लिए आंकड़ा |
भाजपा और सहयोगी | 106+7 =113 | 136 |
शिंदे गुट | 39-16= 23 | |
निर्दलीय | 13 | |
शिव सेना और सहयोगी | 122 | |
एमएनएस और अन्य | 7 |