- उद्धव बोले -अगर मेरे ही लोग नहीं चाहते कि मैं सीएम बनूं, तो मैं क्या करूं?
- उद्धव ठाकरे के पास बमुश्किल 10-15 विधायक बचे हैं।
- अगर शिव सेना टूटती है तो महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार के रसूख को बड़ा झटका लगेगा।
Maharashtra Political Crisis: फेसबुक लाइव (FB Live) वैसे तो पब्लिक था लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने जिस तरह संबोधन किया, उससे साफ है कि वह उनके पहुंच से दूर हो चुके शिव सेना (Shiv Sena) के विधायकों से भावुक अपील कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन में यहां तक कह दिया कि मैं सीएम (CM) क्या शिव सेना अध्यक्ष का पद भी छोड़ने को तैयार हूं। उद्धव ठाकरे के इस संदेश से साफ है कि अब उन्हें सरकार से ज्यादा पार्टी बचाने की चिंता है। क्योंकि जिस तरह एकनाथ शिंदे के साथ 46 के करीब विधायक डटे हुए हैं, उससे तो शिव सेना के वजूद का ही संकट खड़ा हो गया है। और ऐसी संभावनाएं बनने लगी है कि बाला साहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई शिवसेना, किसी ठाकरे के पास नहीं बल्कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के पास चली जाएगी। और अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Political Crisis) में ठाकरे परिवार के रसूख को बड़ा झटका लगेगा।
उद्धव ने क्या कहा
आज जब सुबह-सुबह सूरत से गुवाहाटी पहुंचकर शिव सेना नेता एकनाथ शिंदे ने यह दावा किया कि उनके पास 40 के करीब विधायक है। उस समय ही ये साफ हो गया था कि अब उद्वव ठाकरे के लिए अपने बागी विधायकों को वापस लाना आसान नहीं है। इस बीच शिंदे ने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में बड़ा दावा करते हुए कहा कि उनके पास अब 46 विधायकों का समर्थन है। लगातार उद्धव से दूर हो रहे विधायकों के बाद ही शिव सेना नेता संजय राउत ने सत्ता जाने और विधान सभा भंग की जा सकती है, ऐसे बयान दिए। हालांकि पिछले दरवाजे से शिंदे को मनाने की कोशिशें चलती रही है। लेकिन बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने की चेतावनी का भी जब दांव फेल हो गया, तो उद्धव ठाकरे फेसबुक लाइव के जरिए सामने आए।
और उन्होंने कहा कि शरद पवार और सोनिया गांधी ने मेरी बहुत मदद की, उन्होंने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा। लेकिन अगर मेरे ही लोग नहीं चाहते कि मैं सीएम बनूं, तो मैं क्या करूं? अगर कोई विधायक चाहता है कि मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूं, तो मैं अपना सारा सामान वर्षा बंगले (मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास) से मातोश्री ले जाने के लिए तैयार हूं। मुझे किसी पद से कोई लगाव नहीं है। मैं बालासाहेब ठाकरे का बेटा हूं।
सूरत जाने की क्या जरूरत थी। अगर नहीं चाहते हैं तो मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ देता हूं। अगर मेरा काम नहीं पसंद तो मेरे मुंह पर कह देते। मैं अपना इस्तीफा लिख रहा हूं। मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। अगर आप मुझसे कहें कि मैं शिवसेना का नेतृत्व करने में अक्षम हूं, तो मैं सेना प्रमुख का पद भी छोड़ दूंगा। या तो आओ या मुझे कॉल करो।
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ठाकरे कि विरासत खोने का डर
जिस तरह उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझसे शिकायत थी तो मेरे मुंह पर कह देते, सूरत जाने की क्या जरूरत थी। और फिर उन्होंने सीएम पद से लेकर अध्यक्ष पद छोड़ने की अपील की है। उससे साफ है कि उद्धव ठाकरे को यह अहसास हो गया है कि शिंदे की बगावत में उनकी पार्टी उनके हाथ से निकल जाएगी। क्योंकि अगर शिंदे का दावा सही है कि उनके पास 46 विधायक हैं। तो साफ है कि शिंदे के पास शिवसेना को तोड़ने के लिए जरूरी 37 विधायकों का साथ है। और वह आसानी से दल-बदल कानून के दायरे से बच जाएंगे। और अगर ऐसा होता है तो उद्धव के पास बमुश्किल 10-15 विधायक रह जाएंगे। और ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की विरासत को बड़ा झटका लगना तय है। साथ ही शिव सैनिकों में यह संदेश भी चला जाएगा कि उद्धव ठाकरे शिव सेना को संभालने में सक्षम नहीं हैं।
क्या काम आएगा उद्धव का दांव
उद्धव ठाकरे का भावनात्मक अपील कितनी काम आएगी, यह शिंदे गुट के अगले कदम से पता चलेगा। लेकिन जिस तरह शिंदे बार-बार यह कह रहे हैं कि उद्धव ठाकरे को भाजपा से गठबंधन करना चाहिए और फिर से हिंदुत्व के रास्ते पर चलना चाहिए। ऐसा नहीं लगता है कि उद्धव ठाकरे इस हद तक झुकेंगे। क्योंकि अगर ऐसा वह करते हैं, तो एकनाथ शिंदे का कद कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा। अब देखना है कि शिंदे गुट के तरफ से ठाकरे की अपील पर क्या बयान आता है।