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आपको गिराने-पटकने में आनंद मिलता है, तो गिराओ मेरी सरकार, पर स्टेयरिंग मेरे हाथ में है- उद्धव ठाकरे

Updated Jul 26, 2020 | 09:39 IST

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर अपनी राय रखी और इस दौरान बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए उन्हें राज्य सरकार को गिराने की चुनौती दी।

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आपको गिराने-पटकने में आनंद मिलता है, तो गिराओ सरकार: उद्धव
मुख्य बातें
  • उद्धव ठाकरे ने सामना को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर रखी अपनी बात
  • हमारी सरकार के गिरने को लेकर की थी कई भविष्यवाणियां- उद्धव ठाकरे
  • राजस्थान संकट पर बीजेपी का नाम लिए बगैर साधा निशाना बोले- ये उनका लोकतंत्र है

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को एक इटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू के दौरान ठाकरे ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। ठाकरे ने कहा कि मैं अयोध्या जाऊंगा और अपनी प्रार्थना अर्पित करूंगा। इसके अलवा उद्धव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि अगस्त-सितंबर में सरकार गिराएंगे। मेरा कहना है कि इंतजार किस बात का करते हो, अभी गिराओ। 

अयोध्या पर दिया ये जवाब
अयोध्या संबंधी पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, ' जिस वर्ष मैं वहां गया उसके अगले नवंबर में राम मंदिर की समस्या हल हो गई और मैं मुख्यमंत्री बन गया। यह मेरी श्रद्धा है। जिसे कोई अंधश्रद्धा कहना चाहे तो वह कहे। लेकिन यह मेरी श्रद्धा है और रहेगी। मुद्दा क्या आता है कि फिलहाल सर्वत्र कोरोना से हाहाकार मचा है। मैं ठीक हूं। मैं कहूंगा मैं अयोध्या जाऊंगा ही। मैं मुख्यमंत्री हूं। लेकिन मुख्यमंत्री नहीं था तब भी मुझे वहां मान-सम्मान… सब कुछ मिला। मिला था। वह भी शिवसेनाप्रमुख और उनका बेटा होने की हैसियत से।'


तीन पहिए की सरकार
उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी सरकार तीन पहियों की है जिसका स्टेयरिंग मेरे हाथ में है लेकिन पीछे दोनों बैठे हैं। उद्वव ने आगे कहा, ' सभी लोग चुनाव लड़कर जीतते हैं। जनता की कुछ अपेक्षा उनसे होती है। इसीलिए जनता उन्हें मत देती है और वो अपेक्षा हम पूरी नहीं कर सकते हैं, ऐसा यदि किसी को लगता है तो या उनकी भूल है, ऐसी कोई बात नहीं है। इस तरह आशा और अपेक्षा व्यक्त करना कोई गुनाह नहीं है।'


राजस्थान संकट पर कही ये बात
राजस्थान के मौजूदा हालातों पर बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'वहां कदाचित कोरोना की महामारी गंभीर नहीं होगी अथवा कोरोना की महामारी पहुंची नहीं होगी। क्योंकि यहां के कोरोना की अवस्था के बारे में गृह मंत्री के पास अथवा दिल्ली जाकर विपक्ष के नेता ने शिकायत की है। जबकि यह जो महामारी दुनियाभर में फैली है, वह केवल महाराष्ट्र में ही होगी मध्यप्रदेश में नहीं होगी, राजस्थान में नहीं होगी। वे दूसरा क्या कर सकते हैं? यह उनका लोकतंत्र है ना। अर्थात यहां की हमारी सरकार लोकतंत्र विरोधी है और पैसे देकर तोड़कर यहां लाई जानेवाली सरकार लोकतंत्र के अनुसार होगी। यह उनके लोकतंत्र की व्याख्या है। लोकतंत्र का मजाक शिवसेना प्रमुख को स्वीकार नहीं था। इसलिए वे कहते थे, यह आपका ऐसा बदहाल लोकतंत्र है। ये ऐसा। ये मुझे स्वीकार नहीं है।'


अर्थव्यस्था को लेकर होती है बात
अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए, सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, 'धानमंत्री मोदी ये समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के सभी मुख्यमंत्रियों से संवाद साधते हैं। इनमें से पहले या दूसरे संवाद में उन्होंने कहा था कि आप सभी ऐसी कोई योजना घोषित न करें कि जिसके कारण भविष्य में हमें कोई परेशानी हो। सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में बेवजह छूट दी, माफी दी, ऐसी घोषणा मत करो। जैसे आपकी आर्थिक परिस्थिति कठिन है, वैसी ही हमारी यानी केंद्र सरकार की भी है। ये सत्य ही है कि यह वैश्विक परेशानी है। परंतु इस पूरे काल में हम सब मिलकर परिस्थिति सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।'

चीन को लेकर तय हो नीति
चीन को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उद्धव ने कहा, 'बीच में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी, तब उसमें मैंने पूछा था कि आप देश की एक नीति तय करो। मेरी आज भी यह अग्रणी मांग है। अपने यहां क्या होता है कि पाकिस्तान के साथ संबंध अगर तनावपूर्ण हुआ तो फिर पाकिस्तान मुर्दाबाद । पाकिस्तान के साथ कोई भी संबंध नहीं चाहिए। उनके साथ खेल नहीं, ये नहीं, वो नहीं। और जब माहौल ठंडा हुआ कि भूमिका बदल जाती है। फिर खेल और राजनीति आप एक साथ मत लाओ। यह सब बौद्धिक ज्ञान दिया जाता है। लेकिन जब बात तनाव की हो तब आपकी भूमिका ‘खबरदार’, अगर ये किया तो…’ ऐसी रहती है। फिर वो खिलाड़ी भी नहीं चाहिए, कलाकार भी नहीं चाहिए, कोई उद्योग भी नहीं चाहिए। वैसा चीन के संदर्भ में होना नहीं चाहिए। आप चीन के संदर्भ में एक बार तय करो, वस्तु तो छोड़ो ही, पर उद्योग धंधे हमें लाना है कि नहीं लाना है। ये देश की नीति होनी चाहिए। '

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