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देवी काली पर महुआ मोइत्रा का बयान, क्या धर्म के अपमान के मामलों में भी तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है? 

Updated Jul 06, 2022 | 21:49 IST

Sawal Public Ka : ममता बनर्जी की पार्टी TMC की सांसद महुआ मोइत्रा का एक बयान सुर्खियों में है। वो कह रही हैं कि मेरे लिए काली मांसाहारी और शराब स्वीकार करने वाली देवी हैं। इससे किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। सवाल पब्लिक का है कि क्या धर्म के अपमान के मामलों में भी तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है? आखिर मां काली को लेकर सामने आई विवादित सोच को शह क्यों दी जा रही है?

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Sawal Public Ka : याद कीजिए 2015 का साल जब देश में असहिष्णुता की बहस छेड़ी गई थी। सेकुलरिज्म का नाम लेकर कुछ लोग एजेंडा चला रहे थे कि देश रहने लायक नहीं रह गया है। लेकिन 2022 में आस्था के अपमान के मामलों पर क्या हो रहा है, ये आज देखने लायक है। ममता बनर्जी की पार्टी TMC की सांसद महुआ मोइत्रा का एक बयान सुर्खियों में है। वो कह रही हैं कि मेरे लिए काली मांसाहारी और शराब स्वीकार करने वाली देवी हैं। इससे किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। महुआ मोइत्रा का ये बयान उस वक्त आया जब काली पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री का विवादित पोस्टर सामने है। वैसे तो महुआ मोइत्रा के बयान पर आधिकारिक तौर पर TMC ने पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन उन पर कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। साथ ही एक अन्य मामले में बीजेपी नेता के विवादित बयान पर हंगामा खड़ा करने वाले शशि थरूर जैसे नेता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर महुआ मोइत्रा के बचाव में खड़े हो गए। सवाल पब्लिक का है कि क्या धर्म के अपमान के मामलों में भी तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है? आखिर मां काली को लेकर सामने आई विवादित सोच को शह क्यों दी जा रही है?

उदयपुर और अमरावती जैसे घटनाओं के बीच जब देश का माहौल तनावपूर्ण है तो इसी बीच कनाडा में रहने वाली एक भारतीय लीना मणिमेकलाई की डॉक्यूमेंट्री फिल्म का पोस्टर सामने आता है-जिसका टाइटिल है काली। इस फिल्म के पोस्टर में मां काली सिगरेट पीती दिखायी जाती हैं। पोस्टर में देवी काली के हाथों में LGBT यानी समलैंगिकों का झंडा भी दिखाया गया है। इसी हंगामे के बीच महुआ मोइत्रा ने कह दिया है कि -

मेरे लिए काली मांसाहारी और शराब को स्वीकार करने वाली देवी हैं, ये काली का एक स्वरूप है। अगर आप तारापीठ जाएं तो आप पाएंगे कि साधु धूम्रपान करते हैं। ये काली का स्वरूप है जिसकी लोग पूजा करते हैं। हिंदूवाद के भीतर और कालीपूजक होने के नाते मैं काली की कल्पना ऐसे ही करती हूं। ये मेरी स्वतंत्रता है और मैं नहीं मानती कि इससे भावनाएं आहत होनी चाहिए। मेरी स्वतंत्रता है, जितनी आपकी कि आप देवी को शाकाहारी और सफेद वस्त्र पहने मानें।

महुआ मोइत्रा के बयान पर जोरदार हंगामा हो रहा लेकिन वो अपने बयान पर अड़ी हुई हैं। आज उन्होंने ट्वीट किया -
जय मां काली!
बंगाली जिस देवी की पूजा करते हैं वो निर्भया हैं और तुष्टीकरण नहीं करती हैं।

आज उनका एक और ट्वीट आया -
BJP जान लो!
मैं काली भक्त हूं।
मैं किसी से नहीं डरती हूं।
ना तुम्हारी अज्ञानता से।
ना तुम्हारे गुंडों से।
ना तुम्हारी पुलिस से।
और बेशक ना तुम्हारे ट्रोल्स से।
सच्चाई को समर्थकों की जरूरत नहीं पड़ती।

इससे पहले कल उन्होंने ट्वीट किया था।
सभी संघियों को - झूठ बोलने से बेहतर हिंदू नहीं बनोगे।
मैंने किसी फिल्म या पोस्टर का समर्थन नहीं किया, ना स्मोकिंग शब्द का जिक्र किया।
मेरी सलाह है कि तारापीठ में मां काली के दर्शन करें और देखें कि क्या चढ़ावा भोग में चढ़ता है।
जय मां तारा।

साफ जाहिर है कि महुआ अपने बयान पर ना सिर्फ कायम हैं, बल्कि उसके जरिये राजनीतिक दांव भी आजमा रही हैं। महुआ के इस बयान पर आधिकारिक रूप से टीएमसी ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ये उनका निजी बयान है। पार्टी इससे सहमत नहीं। लेकिन सवाल तब उठता है कि जब अलग-अलग मामलों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में दोहरा रवैया दिखता है।

एक मीडिया इवेंट में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बीजेपी नेता नूपुर शर्मा को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था- उसकी गिरफ्तारी की मांग हो रही है क्योंकि आप आग से नहीं खेल सकते हैं। ममता बनर्जी ने ये भी कहा था कि बंटवारे की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए ये बीजेपी की साजिश है।

इस मामले पर ममता बनर्जी कैसी आक्रामक हैं, जरा सुन लीजिए। सवाल है महुआ मोइत्रा के मामले में बिल्कुल अलग और दूसरे मामले में बिल्कुल अलग रवैया, ऐसा कैसे हो सकता है। दोनों मामलों में आस्था को चोट पहुंचाई गई है। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने भी महुआ मोइत्रा का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट किया- बदनीयती भरे और मनगढ़ंत विवादों से अनजान नहीं हूं लेकिन फिर भी महुआ मोइत्रा पर हो रहे हमलों से हैरान हूं। उन्होंने वो कहा जो हर हिंदू जानता है कि हमारी पूजा पद्धति में देश भर में विविधता है। भक्त जो भोग चढ़ाते हैं ये भक्त की श्रद्धा होती है ना कि देवी की। 

चलिए थरूर का ये तर्क मान लेते हैं कि भक्त का भोग उसकी श्रद्धा होती है। लेकिन क्या देवी के रूप की कल्पना कुछ भी हो सकती है? क्या हिंदू मान्यता में कभी काली सिगरेट पीने वाली और समलैंगिक विचारों की समर्थक भी हो सकती हैं? लेकिन खुद को सेकुलर कहने वाले कैसी सुविधा खोजते हैं। इसकी बानगी एक्टर स्वरा भास्कर के ट्वीट में भी दिखती है। स्वरा ने ट्वीट किया - Mahua Moitra is awesome! यानी वो शानदार हैं। स्वरा ने आगे लिखा - उनकी आवाज को और ताकत मिले।

काली के विवादित पोस्टर और महुआ मोइत्रा के बयान पर ये रुख और दूसरे मामलों में थरूर और स्वरा जैसे लोगों की राय से आप वाकिफ हैं। एक ओर आसमान सिर पर उठा लेने की फितरत है और दूसरी ओर घनघोर चुप्पी या बातों को घुमा देने का अंदाज। सुनिए महुआ को लेकर थरूर के बयान पर कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर क्या कहा?

काली पर विवाद को तूल दिया है, उस बंगाल से आने वाली सांसद ने...जहां सबसे ज्यादा काली पूजा होती है। उस बंगाल की सांसद के बयान पर हंगामा खड़ा हुआ है, जहां रामकृष्ण परमहंस जैसे काली उपासक पैदा हुए हैं। हिंदू धर्म के अध्यात्म को दुनिया तक पहुंचाने वाले विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की धरती से आने वाली सांसद ने काली पर विवाद को हवा दी है।

हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक काली रक्तबीज नाम के दैत्य के संहार के लिए प्रकट हुई थीं। देवता रक्तबीज का संहार नहीं कर पा रहे थे क्योंकि दैत्य का रक्त धरती पर गिरते ही दैत्य फिर जिंदा हो उठता था। तब देवी काली ने विकराल रूप रखकर रक्तबीज का वध किया। और उस समय देवी काली का क्रोध इतना भयंकर हो गया था कि खुद भगवान शंकर को उनके रास्ते में लेटना पड़ा। शंकर के सीने पर देवी का पैर पड़ते ही उनका क्रोध शांत हुआ।

देवी काली की इस मान्यता पर हर हिंदू को विश्वास है। ये सच है कि सनातन में भक्ति का भाव सबसे बड़ा बड़ा है। इसलिए पूजा पद्धतियों और यहां तक कि देवता को चढ़ने वाले भोग में अंतर दिखते हैं, लेकिन क्या इसके आधार पर देवता की मूल कल्पना ही बदली जा सकती है? इसलिए BJP ने महुआ के बयान को मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी को घेर लिया है। महुआ के खिलाफ बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर रहे हैं।

सवाल पब्लिक का

1. क्या काली को लेकर हिंदू धर्म की मान्यता पर महुआ मोइत्रा का बयान चोट करता है ?
2. क्या काली पर सामने आई सोच का बचाव करना डबल स्टैंडर्ड नहीं है?
3. धर्म पर चोट के मामलों में सेलेक्टिव अप्रोच दिखायी जा रही है?
 

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