- बिहार से कीर्ति आजाद, पवन वर्मा, हरियाणा से अशोक तंवर जैसे नेता TMC में शामिल हुए हैं।
- गोवा, त्रिपुरा, मेघालय में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है।
- विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश में शरद पवार जैसे नेता भी शामिल हैं।
नई दिल्ली: जिस इरादे के संकेत तृणमूल कांग्रेस के मुख पत्र जागो बंगला के 25 सितंबर के संपादकीय में दिया गया था। वह अब जमीन पर उतारने की कोशिश शुरु हो गई है। संपादकीय में लिखा गया था कि बंगाल में अधिकांश लोगों का मानना है कि कांग्रेस की विरासत का झंडा अब टीएमसी के हाथ में है। और वहीं असली कांग्रेस है। जो कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती दे सकती है। जो अभी भी कांग्रेस के साथ हैं, उनका टीएमसी में स्वागत है।
पिछले कुछ दिनों में तृणमूल कांग्रेस में उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम, गोवा, बिहार, हरियाणा के दूसरे दलों के नेता शामिल हुए हैं। और इसके अलावा दूसरे नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने की कोशिशें जारी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं, जिन नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल किया गया है, उनकी राजनीतिक हैसियत क्या है...
कीर्ति आजाद
1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे, कीर्ति आजाद कांग्रेस का साथ छोड़ तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भगवत झा आजाद के बेटे हैं। वह साल 1999 ,2009 और 2014 में दरभंगा सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। डीडीसीए को लेकर बीजेपी के नेता स्वर्गीय अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद आजाद को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद वह 2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा उम्मीदवार से 4.8 लाख वोटों से हार गए। वह दिल्ली विधान सभा के भी सदस्य रह चुके हैं।
कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद भी बीजेपी में थीं लेकिन साल 2017 में उन्होंने बीजेपी छोड़ आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। और फिर 2018 में उन्होंने आप का साथ भी छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गईं। कीर्ति आजाद इस कांग्रेस में साइडलाइन थे, वह बिहार में पार्टी में प्रमुख भूमिका चाहते थे। लेकिन पूर्व जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल करने के बाद , उनकी उम्मीदें खत्म हो गई थी।
पवन वर्मा
बिहार से ही पूर्व जद (यू) नेता पवन वर्मा भी टीएमसी में शामिल हुए हैं। राजनीति में आने से पहले वर्मा भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी थे। वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सलाहकार भी रह चुके हैं। साल 2014 में जेडीयू ने पवन वर्मा को पहली बार राज्यसभा भेजा। इसके बाद साल 2016 तक वह सांसद रहे। वह जद (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके थे। भाजपा के साथ गठबंधन करने से वह नाराज थे। और उसके बाद उन्हें पार्टी से प्रशांत किशोर के साथ निकाल दिया गया था। ऐसे में पिछले कुछ समय से उन्हें एक नए राजनैतिक प्लेटफॉर्म की तलाश थी।
अशोक तंवर
हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट से वह 2009 में सांसद रह चुके अशोक तंवर भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।उन्हें एक समय राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। 2014 लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में पैसे के लेनदेन का गंभीर आरोप लगाया था। इसके बाद उन्हें कांग्रेस से निष्काषित कर दिया गया था। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी अपना भारत मोर्चा बनाई थी। लेकिन वह कुछ खास असर अभी तक नहीं दिखा पाई। अब ममता बनर्जी को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।
ललितेशपति त्रिपाठी
यूपी कांग्रेस के पूर्व नेता ललितेशपति त्रिपाठी और उनके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेशपति त्रिपाठी अक्टूबर में टीएमसी में शामिल हुए। ललितेशपति त्रिपाठी मिर्जापुर के मड़िहान सीट से 2012 में विधायक रह चुके हैं । और यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं। टीएमसी में शामिल होने पहले वह यूपी कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 2019 में लोक सभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए। उन्हें प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है, लेकिन 2022 के लिए तरजीह मिलने से नाराज चल रहे थे।
लुइजिन्हो फलेरियो
गोवा के पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं। वह अपने 10 कांग्रेस साथियों के साथ बीते सितंबर में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। गोवा में पांच राज्यों के साथ विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। तृणमूल में शामिल होने से पहले फलेरियो ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टक्कर लेने के लिए देश को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसी नेता की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य कांग्रेस परिवार को एकजुट करना है।फिलहाल कांग्रेस परिवार टीएमसी कांग्रेस, वाइआरएस कांग्रेस, एनसीपी आदि में बंटा हुआ है। फलेरियो गोवा की नवेलिम क्षेत्र से 7 बार विधायक रहे हैं। वह 1999 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
सुष्मिता देव
अगस्त 2021 में असम से कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था। इस्तीफा देने से पहले वह कांग्रेस के महिला मोर्चे की अध्यक्ष थी। सिलचर से लोकसभा सदस्य और विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं। सुष्मिता देव असम की बराक वैली से ताल्लुक रखती हैं और उन्हें असम की बंगाली बोलने वाली बराक इलाके का प्रमुख चेहरा माना जाता था। उनके पिता संतोष मोहन देव कांग्रेस के दिग्गज नेता रह चुके हैं। बताया जाता है कि असम विधान सभा चुनावों में तरजीह नहीं मिलने से नाराज थीं।
त्रिपुरा और मेघालय के कई कांग्रेसी नेता हुए शामिल
ममता बनर्जी ने इसके अलावा त्रिपुरा में भी कांग्रेस को झटका दिया है। कांग्रेस के कई प्रमुख नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसके तहत पूर्व मंत्री प्रकाश चंद्र दास, सुबल भौमिक, प्रणब देब, मोहम्मद इदरिस मियां, प्रेमतोष देबनाथ, बिकास दास, तपन दत्ता ने तृणमूल कांग्रेस की सदस्या ग्रहण कर ली थी। और अब बीते बुधवार को मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा समेत कांग्रेस पार्टी के 18 में 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।