- हिंदू समाज को लुभाने के लिए पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने कीं कई घोषणाएं
- राज्य के गरीब ब्राह्मण पुजारियों को हर महीने 1000 रुपए का भत्ता देगी ममता सरकार
- भाजपा अध्यक्ष ने ममता सरकार पर हिंदू विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाया है
कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के 'हिंदू विरोधी' होने के आरोपों एवं पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंदू समुदाय को लुभाने की कोशिश की। ममता ने पुरोहितों को हर महीने 1000 रुपए भत्ता सहित हिंदू समाज के लिए कई कदमों की घोषणाएं की हैं। समझा जाता है कि इन घोषणाओं के जरिए ममता भाजपा के 'तुष्टिकरण' के आरोपों का जवाब देना चाहती हैं। गत गुरुवार को नड्डा ने ममता सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उसे 'हिंदू विरोधी मानसिकता' का होने का आरोप लगाया।
ममता ने कहा-उनकी घोषणाओं का गलत मतलब न निकालें
इन कदमों के बारे में जानकारी देते हुए ममता ने राज्य सचिवालय में कहा, 'इन घोषणाओं को गलत मतलब न निकालें। राज्य के करीब 8000 गरीब ब्राह्मणों ने मुझसे अनुरोध किया था। हमने इन गरीब परिवारों को हर महीने एक हजार रुपए का भत्ता देने का फैसला किया है। हम इनके लिए बांग्ला आवास योजना के तहत घर भी बनाकर देंगे। हमारी सरकार ईसाई पादरियों के लिए भी इसी तरह का कदम उठाने के बारे में सोच रही है। राज्य के 8000 ब्राह्मण परिवार अक्टूबर/नवंबर महीने से शुरू होने वाले पूजा महीने से भत्ता पाने लगेंगे।'
हिंदू समुदाय के लिए अन्य घोषणाएं
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने दलित अकादमी बनाने, हिंदी अकादमी एवं राजबंशी अकादमी का विस्तार करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने जिलों में स्थित मंदिर, मस्जिद एवं गुरुद्वारों के संरक्षण के लिए योजना का उद्घाटन किया। टीएमसी ने अपने हिंदी इकाई के स्वरूप को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी ने इसमें गैर बंगाली चेहरे सांसद दिनेश त्रिवेदी को जगह दी है। राज्य सरकार ने ब्राह्मणों के लिए कोलाघाट में तीर्थस्थान बनाने का भी निर्णय लिया है।
नड्डा ने ममता पर हिंदू विरोधी मानसिकता रखने का लगाया है आरोप
गौरतलब है कि गत 10 सितंबर को भाजपा की नवगठित राज्य समिति को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा, 'पांच अगस्त को जब पूरा देश अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन देख रहा था तो ममता बनर्जी ने उस दिन पश्चिम बंगाल में लॉक डाउन की घोषणा कर दी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि स्थानीय स्तर पर लोग धार्मिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनें। इसके ठीक विपरीत बकरीद के मौके पर लॉकडाउन हटा लिया गया। यह बताता है कि राज्य सरकार की नीतियां हिंदू विरोधी मानसिकता एवं तुष्टिकरण की नीति से संचालित है।' पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार टीएमसी एवं भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।